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निर्मल बांग्ला अभियान से चाय श्रमिक भी जुड़े

सिलीगुड़ी: चाय बागान श्रमिकों की आर्थिक स्थिति हमेशा से ही अच्छी नहीं रही है. उत्तर बंगाल में चाय उद्योग की हालत काफी खराब है और इसका सीधा असर श्रमिकों पर पड़ता है. वेतन व अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है.आर्थिक तंगी के बाद भी चाय बागान श्रमिक केंद्र सरकार की योजना स्वच्छ भारत अभियान और […]

सिलीगुड़ी: चाय बागान श्रमिकों की आर्थिक स्थिति हमेशा से ही अच्छी नहीं रही है. उत्तर बंगाल में चाय उद्योग की हालत काफी खराब है और इसका सीधा असर श्रमिकों पर पड़ता है. वेतन व अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है.आर्थिक तंगी के बाद भी चाय बागान श्रमिक केंद्र सरकार की योजना स्वच्छ भारत अभियान और राज्य सरकार की योजना निर्मल बांग्ला मिशन को प्रश्रय दे रहे हैं.

मिशन निर्मल बांग्ला के तहत अपने घरों में शौचालय बनवाने के लिये श्रमिक बागान प्रबंधन से कर्ज ले रहे हैं और अपने साप्ताहिक वेतन से कर्ज की किश्तें चुकाते हैं. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति तापस सरकार ने शौचालय बनाने के लिये श्रमिकों के उत्साह की सराहना की है.

सिलीगुड़ी महकमा परिषद निर्मल होने की कगार पर है. मिशन निर्मल बांग्ला के अंतर्गत शौचालय बनाने का काम 95 प्रतिशत समाप्त हो चुका है. मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी महकमा परिषद के फांसीदेवा, खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी, माटीगाड़ा-1, माटीगाड़ा-2 इलाकों में शौचालय बनाने का काम पूरा हो चुका है. चंपासारी, अपर बागडोगरा, लोअर बागडोगरा, हाथीघीसा और विधान नगर-2 में शौचालय बनाने का 90 प्रतिशत कार्य समाप्त हो चुका है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के अंतर्गत स्थित चाय बागान इलाकों का दौरा करने पर पता चला कि अपने घरों में शौचालय बनाने के लिये श्रमिक भी काफी उत्साहित हैं. अपने घर में शौचालय बनवाने के लिये बागान प्रबंधन से कर्ज ले रहे हैं. श्रमिकों का साप्ताहिक नगद वेतन काफी कम होता है और उसी में से वे लोग कर्ज की रकम भी चुका रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सभी राज्यों को आर्थिक सहायता देती है.

बंगाल में यह रूपया निर्मल बांग्ला योजना के जरिए लोगों तक पहुंच रहा है. एक शौचालय बनाने में 10 हजार 9 सौ रूपये का खर्च होता है. निर्मल बांग्ला मिशन के तहत सरकार एक ग्रामीण परिवार को 10 हजार रूपये मुहैया कराती है. बाकी का 900 रूपये स्वयं जमा कराना होता है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के अंतर्गत चाय श्रमिकों के घरों में भी शौचालय बनवाये जा रहे हैं. चाय श्रमिकों की खराब आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह एक साथ 900 रूपये भी नहीं दे पाते. बागान श्रमिकों ने इस समस्या का तोड़ निकाल लिया है.

श्रमिकों ने अपने साप्ताहिक वेतन से 100 रूपये किश्त देने का वादा कर बागान प्रबंधन से 900 रूपये का कर्ज लिया. कुछ बागान प्रबंधन तो राजी हुए लेकिन कुछ नहीं माने. इसके बाद श्रमिकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति ने स्वयं बागान प्रबंधन से बात की और श्रमिकों को मदद देने की अपील की. इसके अतिरिक्त कुछ श्रमिकों ने 900 रूपये के एवज में ओवर टाइम काम भी किया.

इस संबंध में सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति तापस सरकार ने बताया कि श्रमिक बागान प्रबंधन से कर्ज लेकर शौचालय बनवा रहे हैं. 900 रूपये कर्ज लेकर प्रति सप्ताह एक सौ रूपया चुका भी रहे हैं. साप्ताहिक वेतन से एक सौ रूपये देना भी एक श्रमिक परिवार के लिए भारी है. इसके लिये सिलीगुड़ी महकमा परिषद बागान प्रबंधन से बातचीत कर रही है. किश्त की राशि प्रति सप्ताह 50 रूपये करने की अपील की जायेगी.इसस श्रमिको को थोड़ी और रियायत मिल सकेगी. श्री सरकार ने बताया कि आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2012 में 74 हजार 159 परिवारों के पास शौचालय नहीं थे. वर्ष 2013-14 में 6 हजार 21, वर्ष 2014-15 में 8 हजार 22 शौचालय बनाये गये. महकमा परिषद में माकपा बोर्ड आने के बाद वर्ष 2015-16 में कुल 16 हजार 760 शौचालय बनाये गये हैं. सिलीगुड़ी महकमा परिषद इलाके में शौचालय बनाने का काम 95 प्रतिशत पूरा हो गया है.

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