जेइइ की परीक्षा व नतीजों के बाद अगले शैक्षणिक सत्र से इन संस्थानों के बीटेक अंतिम वर्ष के टॉप 1,000 छात्रों को पहले की तुलना में बढ़ कर वजीफा दिया जायेगा. यह जानकारी आइआइटी संस्थान के सूत्रों ने दी है. इसमें वजीफे की मात्रा बढ़ा दी जायेगी. मेधावी छात्र अपने राज्य से बाहर न जा सकें या अन्य विदेशी कंपनियों की ओर रुख न करें, इसको ध्यान में रखकर यह योजना बनायी गयी है.
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आइआइटी में अनुसंधान करनेवालों की स्टाइपेंड बढ़ी
कोलकाता: आइआइटी व आइएसएम धनबाद में डॉक्टोरल प्रोग्राम में नामांकन करानेवाले छात्रों को अब विशेष सुविधा दी जायेगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे छात्रों के लिए एक नयी योजना शुरू की है. ऐसे छात्रों के स्टाईफंड में 110 से 140 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी. जेइइ की परीक्षा व नतीजों के बाद अगले शैक्षणिक […]
कोलकाता: आइआइटी व आइएसएम धनबाद में डॉक्टोरल प्रोग्राम में नामांकन करानेवाले छात्रों को अब विशेष सुविधा दी जायेगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे छात्रों के लिए एक नयी योजना शुरू की है. ऐसे छात्रों के स्टाईफंड में 110 से 140 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी.
वर्ष 2017-18 के लिए शुरू इस योजना में केंद्र की ओर से हर साल यह फंड दिया जायेगा, ताकि छात्रों को पूरे पांच साल तक डॉक्टोरल रिसर्च के लिए कोई समस्या न हो. देश के 22 आइआइटी व इंडियन स्कूल ऑफ माइनिंग, धनबाद के किसी भी बी टेक छात्र को यह लाभ मिल सकता है. वर्तमान में 40,000 पीएचडी स्कॉलर्स आइआइटी में पढ़ रहे हैं. इस योजना को प्राथमिकता के तौर पर सबसे पहले आइआइटी काउंसिल ने एप्रूव किया है, ताकि रिसर्च करनेवाले छात्रों को प्रोत्साहन मिले. विशेषज्ञों का कहना है कि मेधावी छात्रों को अब यह सुविधा मिलने के बाद विदेश नहीं जाना पड़ेगा.
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