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यात्री नहीं, अब ओवरलोडिंग के भरोसे चलती हैं दूरदराज की बसें

कोलकाता. महानगर के विभिन्न इलाकों से यात्रियों को लेकर दूसरे राज्यों में जानेवाली बसें यात्रियों को ले जाने के बजाय अब माल ढुलाई की एजेंसी बन कर रह गयी है. ज्यादा आय होने के कारण इन बसों में यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए ओवर लोडिंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. मौजूदा समय […]

कोलकाता. महानगर के विभिन्न इलाकों से यात्रियों को लेकर दूसरे राज्यों में जानेवाली बसें यात्रियों को ले जाने के बजाय अब माल ढुलाई की एजेंसी बन कर रह गयी है. ज्यादा आय होने के कारण इन बसों में यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए ओवर लोडिंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. मौजूदा समय में महानगर के बाबूघाट, धर्मतल्ला, पार्क सर्कस, पोस्ता और राजाबाजार जैसे इलाकों से दूरदराज इलाकों के लिए खुलने वाली अधिकतर बसों में ओवरलोडिंग का यही नजारा देखा जाता है. सिर्फ बस नहीं दूसरे राज्यों से महानगर में आनेवाले या फिर यहां से दूसरे राज्यों में जानेवाले बड़े-बड़े ट्रकों में भी यही नजारा देखा जाता है. इन वाहनों के चालकों की मानें तो पुलिस ओवर लोडिंग के खिलाफ महीने में एक या दो बार कार्रवाई करती है. इसके कारण उन्हें पुलिस की कार्रवाई का ज्यादा डर नहीं रहता है.
क्यों पनप रहा है यह गोरखधंधा : कोलकाता से बिहार जानेवाली एक लग्जरी बस के खलासी भोला ओरांग ने बताया कि रोजाना खुलनेवाली बस में अाये दिन यात्री भरे नहीं रहते, लेकिन बस को रोज ले जाना होता है. कभी एेसी स्थिति रहती है कि पूरा बस यात्रियों से भर नहीं पाता. ऐसी स्थिति में भी नुकसान सहकर बस को ने जाना और लाना पड़ता है. इसी कारण ही छत पर माल लोड कर लेने से उस नुकसान की भरपाई हो जाती है. वह मानते हैं कि कभी-कभी ज्यादा माल मिलने से ही ओवर लोडिंग बस के साथ सफर करना पड़ता है, जो कि जोखिम भरा है लेकिन आमदनी ज्यादा होने के कारण इस जोखिम को हर बार नजरंदाज कर दिया जाता है.
कच्चा माल ले जाने पर ज्यादा होती है कमाई : वहीं एक और बस के हेल्पर रामू साव बताते हैं कि बस में तीन तरह से माल की लोडिंग होती है. पहले तरीके से कच्चा माल लोड होता है, जिसकी गारंटी बस मालिक की नहीं होती है. बस में लोड करने से लेकर उसे गंतव्य स्थल तक ले जाने के बीच किसी भी स्थिति में माल को नुकसान होता है या फिर पुलिस उन माल को जब्त करती है तो इसकी जिम्मेदारी उनकी नहीं होती है. वहीं दूसरी तरफ इस तरह के माल को ले जाने में ज्यादा रुपये मिलने के कारण वे इस तरह के माल को लोड करने का जोखिम ले लेते हैं. दूसरे तरीके से पक्का माल लोड होता है. इसमें प्रत्येक माल को बस की छत पर लोड करने के साथ उसे बुक कराने वाले को बिल दिया जाता है. इस तरह के माल की बुकिंग प्राय: प्रत्येक दिन होती है. इस तरह के माल को लोड करने में जोखिम भी कम होता है, इसके कारण इसकी कीमत थोड़ी कम होती है. तीसरा तरीका अनजान लोगों से माल लेना होता है. महीने में एक या दो बार माल भेजनेवालों से वे ज्यादा रुपये लेकर उनका माल ले जाते हैं. इस तरह से माल लोड कर वे अपने नुकसान की भरपाई करते हैं.
महीने में एक या दो बार ही रेड करती है पुलिस : एक बस के खलासी प्रदीप साव बताते है कि लग्जरी बसों में यात्रियों के सिर के ऊपर ओवर लोडिंग के खिलाफ स्थानीय ट्रैफिक गार्ड के पुलिस का अभियान महीने में एक या दो बार होता है. पुलिसवाले भी एक या दो मामले करने के बाद चेतावनी देकर चले जाते हैं. इसके कारण अनुशासन के अभाव में यह गुप्त व्यापार धीरे-धीरे फल फुल रहा है. कई बार ओवर लोडिंग होने के कारण बस दुर्घटनाग्रस्त भी हुई है, लेकिन इसके बावजूद यह गोरखधंधा आसानी से फल-फुल रहा है.
कई बार गांजा-अफीम भी हो चुका है जब्त : कोलकाता पुलिस के नारकोटिक्स विभाग की टीम कई बार इन्हीं ओवरलोडिंग बस से गुप्त जानकारी के आधार पर गांजा व चरस जब्त कर चुकी है. इस सिलसिले में ओडिसा व बिहार के विभिन्न जिलों में रहने वाले कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है. इसके बाद स्थानीय थाने में बस के मालिक व अन्य स्टाफ के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा चुका है.
क्या कहती है पुलिस : डीसी ट्रैफिक वी सोलोमन नेशा कुमार ने बताया कि दूरदराज के वाहनों में ओवरलोडिंग के खिलाफ पुलिस का समय-समय पर अभियान चलाती है. कई वाहनों को जब्त भी किया जाता है और उन पर जुर्माना भी लगाया जाता है. कोलकाता पुलिस इस तरह के ओवर लोडिंग वाहनों के खिलाफ छापामारी अभियान में तेजी लायेगी जिससे वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या से छुटकारा पाया जा सके.

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