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रायगंज नगरपालिका के मातृ सदन में कई गड़बड़ियां,16 साल से बिना लाइसेंस चल रहा सरकारी मातृ सदन

रायगंज. रायगंज नगरपालिका का मातृ सदन (मैटरनिटी होम) बिना लाइसेंस के चल रहा है. एक-दो साल से नहीं, बल्कि बीते 16 सालों से राज्य स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी के बिना इस मातृ सदन में शिशु प्रसव कराया जा रहा है. एक सरकारी मातृ सदन द्वारा ही इतने सालों से नियमों का उल्लंघन किया जा रहा […]

रायगंज. रायगंज नगरपालिका का मातृ सदन (मैटरनिटी होम) बिना लाइसेंस के चल रहा है. एक-दो साल से नहीं, बल्कि बीते 16 सालों से राज्य स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी के बिना इस मातृ सदन में शिशु प्रसव कराया जा रहा है. एक सरकारी मातृ सदन द्वारा ही इतने सालों से नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. हाल ही में यह मामला तब प्रकाश में आया, जब स्वास्थ्य विभाग ने मातृ सदन का निरीक्षण किया. इसके बाद प्रशासन और चिकित्सा क्षेत्र में खलबली मच गयी. जिला स्वास्थ्य विभाग ने संकेत दिया है कि जल्द ही लाइसेंस नहीं लेने पर मातृ सदन को बंद कर दिया जायेगा.

उल्लेखनीय है कि रायगंज नगरपालिका भवन के पीछे इस मातृ सदन का उद्घाटन वाम सरकार के समय हुआ था. फरवरी 2001 में इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने खुद किया था. उस समय रायगंज नगरपालिका के चेयरमैन दीनदयाल कल्याणी के नेतृत्व में इस मातृ सदन को अरबन प्राइमरी हेल्थ केयर यूनिट की शाखा के रूप में शुरू किया गया था. तब मातृ सदन में केवल आउटडोर विभाग (ओपीडी) की सुविधा थी. बाद में मातृ सदन में इनडोर विभाग शुरू हुआ और कांट्रैक्ट पर चिकित्सक रखकर प्रसव कराया जाने लगा. लेकिन इतने साल के दौरान नगरपालिका ने कभी स्वास्थ्य विभाग से कोई लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं समझी.

हाल ही में जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के दौरे के बाद जब यह मामला सामने आया, तो आनन-फानन में मातृ सदन के लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गयी है. लाइसेंस न होने के अलावा भी मातृ सदन में कई अनियमितताएं पायी गयीं. वहां न तो कोई स्थायी चिकित्सक है और न ही कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ. रायगंज जिला अस्पताल के और सेवानिवृत्त चिकित्सक कांट्रैक्ट के आधार पर अस्पताल को संभाल रहे हैं. मातृ सदन में केवल दो सीनियर नर्सों की तैनाती है. बाकी 12 नर्सें ट्रेनी हैं.

नगरपालिका सूत्रों ने बताया कि साधारण शिशु प्रसव के लिए मातृ सदन में चार से सात हजार रुपये लिये जाते हैं. सीजेरियन से प्रसव होने पर 14 हजार रुपये लिये जाते हैं. आरोप है कि इस पैसे की कोई रसीद नहीं दी जाती. जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रकाश मृधा ने बताया कि कोई भी मातृ सदन चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस अनिवार्य है. नगरपालिका प्रबंधन से जल्द से जल्द लाइसेंस लेने को कहा गया है. नहीं तो मातृ सदन बंद कर दिया जायेगा.

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