मालदा. गौड़बंग विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक (कंट्रोलर) को हटाने की मांग को लेकर शनिवार को भी बांग्ला विभाग के विद्यार्थी अड़े रहे. 24 घंटा बीत जाने के बाद भी वाइस चांसलर को उनके कक्ष में बंधक बनाकर घेराव आंदोलन जारी है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि जब परीक्षा नियंत्रक को नहीं हटाया जाता आंदोलन जारी रहेगा. दूसरी तरफ वाइस चांसलर गोपाल चंद्र मिश्र ने कहा कि छात्र-छात्राओं की मांग माननी असंभव है. फिर भी मुझे उम्मीद है कि छात्र-छात्राएं इसे समझेंगे और खुद से ही आंदोलन वापस ले लेंगे.
सोमवार को गौड़बंग विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक थी. इस बैठक पर भी छात्र-छात्राओं के विक्षोभ का असर पड़ा. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे से यह आंदोलन शुरू हुआ. आंदोलनकारियों की एक ही मुख्य मांग है कि वर्तमान अस्थायी परीक्षा नियंत्रक सनातन दास को उनके पद से हटाया जाये. शुक्रवार पूरी रात विद्यार्थी वीसी के कक्ष के सामने फर्श पर ही बैठे और सोये रहे. रात का खाना भी उन्हें ठीक से नहीं मिल पाया. वीसी या विश्वविद्यालय का कोई अन्य अधिकारी उनकी खोज-खबर लेने नहीं पहुंचा.
शनिवार सुबह देखा गया कि वीसी के कक्ष के सामने फर्श पर बैठे छात्र-छात्राएं मूड़ी और चनाचूर खा रहे हैं. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा- रात में हमारी आंखों के सामने वीसी और अन्य अध्यापकों के लिए बिछौना, तकिया, भोजन आदि आया. हमलोगों ने इसमें कोई बाधा नहीं डाली. लेकिन वीसी और अन्य कोई अधिकारी एक बार भी हम लोगों की खोज-खबर लेने नहीं आया.
एक आंदोलनकारी छात्र अब्बास नूर ने कहा कि इस साल बांग्ला विभाग के दूसरे सेमेस्टर के पांचवें पेपर में छात्र-छात्राओं को बहुत कम अंक मिले हैं. गत 27 जनवरी को इसे लेकर छात्र-छात्राओं ने आंदोलन भी किया था. तब कंट्रोलर ने आश्वासन दिया था कि जिनके अंक बहुत कम हैं, उनके 10-15 अंक बढ़ा दिये जायेंगे. लेकिन अब इससे इनकार किया जा रहा है. शुक्रवार को इस बारे में नोटिस मिलने के बाद छात्र-छात्रा वाइस चांसलर गोपाल चंद्र मिश्र के पास पहुंचे. कंट्रोलर ने वहां भी छात्र-छात्राओं संग बदसलूकी की. कहा कि जो आंदोलन करेगा, उसकी डिग्री छीन ली जायेगी. इसके बाद छात्र-छात्राओं ने परीक्षा नियंत्रक को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया. बांग्ला विभाग के एक अन्य छात्र इमरान शेख व छात्रा तमोश्री बनर्जी ने कहा कि 10 साल हो गये, इस विश्वविद्यालय में अभी तक स्थायी परीक्षा नियंत्रक और रजिस्ट्रार नहीं है. छात्र संघ का भी गठन नहीं किया गया है. परीक्षा नियंत्रक का दफ्तर भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है.
वाइस चांसलर का कहना है कि छात्र-छात्राओं की जो मांग है, उसे मानना संभव नहीं है. परीक्षार्थी दोबारा मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं. कम अंक मिलने में परीक्षा नियंत्रक की गलती कहां है? विभागीय शिक्षकों को विद्यार्थियों को समझाने-बुझाने के लिए कहा गया है.