यह कथा आपके मन का परीक्षण करती है, जांच करती है कि आपका मन ठीक है कि नहीं और इसकी रिपोर्ट स्वयं आपका मन आपको दे, तभी कथा श्रवण की सार्थकता है. आपका मन आपको यह बता पाये कि आपकी मानसिक स्थिति दशरथ जैसी है या दशानान जैसी. राम के जैसी है या रावण जैसी. शबरी के जैसी है या सुपर्णखा जैसी. पंडित श्री लाटा ने कहा कि राम हमारे भीतर हैं. जो रम रहा है, वही तो राम हैं. यह राम की कथा है, वह हमारी कथा है, आपकी कथा है, सबकी कथा है. कथा को केवल सुनने से नहीं होगा, उसमें से चुनना होगा. यह मानस कथा हमें हमारे मानस रोग से छुटकारा दिलाने का सशक्त माध्यम है.
इससे पूर्व इस नौ दिवसीय आयोजन का दीप जला कर उदघाटन करते हुए विशिष्ट उद्योगपति व नया मंदिर के प्रमुख सुधीर जालान ने कहा कि निष्काम भाव से समर्पित होकर आज भी सेवा करने की मिसाल पेश कर रही है श्रीराम सेवा समिति ट्रस्ट (हावड़ा), जहां न तो कोई पदाधिकारी है, न कोई निजी प्रचार की भावना. इसने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं और कर रहे हैं, वे वंदनीय हैं.
विशेष रूप से उपस्थित भागवताचार्य जयप्रकाशजी शास्त्री, मुख्य अतिथि सत्यनारायण देवरालिया, शिक्षाविद दुर्गा व्यास ने भी समिति के सेवा प्रकल्पों की भूरि-भूरि प्रशंसा की. घनश्याम दास गुप्ता ने समिति के सेवा कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया, जबकि गोविंद राम अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समिति की ओर से इंद्रसेन जिंदल, रोशनलाल अग्रवाल, रतनलाल गोयल, अनिल कुमार बैद, बसंत कुमार गोयनका आदि ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. संचालन राजकुमार मित्तल ने किया. आयोजकों ने बताया कि 29 जनवरी तक चलनेवाली इस रामकथा में पंडित लाटा प्रतिदिन दोपहर 2.30 बजे से सायं 6.30 बजे तक कथा करेंगे. 26 व 29 जनवरी को कथा का समय प्रातः 9.30 से दोपहर 1.30 बजे तक रहेगा.