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महानगर के सरकारी अस्पताल में होगा लिंग परिवर्तन
कोलकाता: थर्ड जेंडर की पहचान ऐसे लोगों से जुड़ी है, जो न स्त्री है और न पुरुष. सुप्रीम कोर्ट ने भी किन्नरों को थर्ड जेंडर यानी तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से किन्नरों को उनका हक मिल गया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया […]
कोलकाता: थर्ड जेंडर की पहचान ऐसे लोगों से जुड़ी है, जो न स्त्री है और न पुरुष. सुप्रीम कोर्ट ने भी किन्नरों को थर्ड जेंडर यानी तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से किन्नरों को उनका हक मिल गया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया है कि वो किन्नरों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया करवाये. सर्वोच्य न्यायालय के इस फैसले के बाद अब पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से एक ऐतिहासिक पहल की गयी है.
इस योजना के तहत अब थर्ड जेंडर के अंगर्तत आने वाले लोगों का सेक्स परिवर्तन किया जायेगा. ऐसे लोगों के सेक्स को परिवर्तित किया जायेगा, जिनके जन्म के बाद यह पता नहीं चल पाता है कि वह लड़की है या लड़का. मेडिकल साइंस में इसे हर्मोफ्रडाइट यानी उभयलिंगी कहते हैं. सेक्स परिवर्तन के लिए राज्य सरकार 17 से 25 वर्ष के उम्र वाले लोगों की सर्जरी पर जोर देगी. सर्जरी बिल्कुल नि:शुल्क होगा. आपको बता दें कि उभयलिंगी लोगों की सर्जरी के लिए एक नये विभाग को चालू किया जायेगा.
आरजी कर अस्पताल में बनेगा नया विभाग
सेक्स परिवर्तन के लिए राज्य सरकार ने महानगर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में नये विभाग को चालू करने की योजना बनायी है. इसके लिए अब तक तीन से चार महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी हैं. यहां इस विभाग को चालू करने में एसएसकेएम (पीजी) के डॉक्टरों से मदद ली जा रही है.
जानकारी के अनुसार, यहां थर्ड जेंडर के सेक्स में बदलाव करने के लिए एक विशेष आधारभूत ढ़ांचे को तैयार किया जा रहा है.
आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो डॉ एस बटब्याल ने बताया कि विभाग को चालू करने के लिए एक नोडल कमेटी भी तैयार की गयी है. इस कमेटी में आरजी कर अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो डॉ आरएन भट्टाचार्य शामिल हैं.
अस्पताल में इन विभागों की है जरूरत
डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि सेक्स परिवर्तन के लिए एक व्यक्ति को छह से सात बार सर्जरी के दौर से गुजरना पड़ता है. सरकारी अस्पताल में इस तरह की सर्जरी करने का लक्ष्य इसलिए बनाया गया है, क्योंकि एक छत के नीचे सभी प्रकार की सर्जरी हो सके. उन्होंने बताया कि सेक्स परिवर्तन के लिए प्लास्टिक सर्जरी, साइक्राइटिस, इंडोक्रानोलॉजी (हर्मोनल), जनरल मेडिसीन, जनरल सर्जरी, न्यूरोलॉजी, गायनोलॉजी, यूरोलॉजी, जेनेटिक स्टडी सह कई अन्य विभाग की जरूरत है. आरजी कर में जेनेटिक स्टडी इंडोक्राइनोलॉजी मनोचिकित्सा विभाग नहीं है. यह सभी विभाग एसएसकेएम अस्पताल में हैं. इसलिए एसएसकेएम में भी इस विभाग को चालू किया जा सकता है या फिर वे एसएसकेएम अस्पताल से मदद ले सकते हैं. यह योजना फिलहाल आरंभिक दौर में है. विभाग को चालू करने में फिलहाल समय लगेगा. गौरतलब है कि इस योजना को कागज से उतार कर वास्तविक रूप दिया गया तो राज्य का यह पहला ऐसा अस्पताल होगा, जहां इस तरह की सर्जरी होगी.
उन्होंने बताया कि सेक्स परिवर्तन के दौरान अगर कोई पुरुष (थर्ड जेंडर) से महिला बनता है तो उसके स्तन और गुप्तांग को विकसित किया जायेगा. इसी तरह महिला (थर्ड जेंडर) के पुरुष बनने पर उसके स्तन को हटा कर पुरुष गुप्तांग को विकसित किया जायेगा. इसी तरह दोनों ही मामले में चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी की जायेगाी, ताकि महिला का स्वरूप देने पर दाढ़ी को हटाया जा सके. उन्होंने बताया कि एक बार सेक्स परिवर्तन के बाद पहले वाले रूप में दोबारा आना संभव नहीं है और गर्भधारण करना संभव नहीं.
क्या कहती है मंत्री
आरजी कर में उक्त विभाग को चालू करने की कोशिश चल रही है. इसमें अभी कुछ समय लगेगा. हम चाहते हैं कि एक छत के नीचे इस तरह की सर्जरी हो, ताकि जरूरतमंद लोग इससे लाभान्वित हों.
-डॉ शशि पांजा, स्वास्थ्य राज्य मंत्री, पश्चिम बंगाल
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