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फीटल मेडिसिन से गर्भ में शिशु का इलाज संभव

कोलकाता : एक रिपोर्ट के अनुसार प्रसव के दौरान 100 में से करीब पांच नवजात किसी जटिल बीमारी के साथ पैदा होते हैं, लेकिन अब गर्भ में पल रहे शिशु का भी इलाज संभव है. देश में भारी संख्या में नवजात और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सांस और फेफड़ा संबंधी बीमारियों […]

कोलकाता : एक रिपोर्ट के अनुसार प्रसव के दौरान 100 में से करीब पांच नवजात किसी जटिल बीमारी के साथ पैदा होते हैं, लेकिन अब गर्भ में पल रहे शिशु का भी इलाज संभव है.
देश में भारी संख्या में नवजात और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सांस और फेफड़ा संबंधी बीमारियों से मौत हो जाती है, लेकिन अब गर्भ में पल रहे बच्चे की फेफड़ा, किडनी या हृदय से संबंधित बीमारी का इलाज फीटल मेडिसीन हो सकेगा. यह बातें गायनोलॉजिस्ट व फीटल मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ प्रदीप गोस्वामी ने कहीं. वह महानगर के एक पांच सितारा होटल में फेटोमेट फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि दिल्ली व चेन्नई में फीटल मेडिसीन से चिकित्सा की जा रही है, लेकिन पूर्वी भारत में अभी इस चिकित्सा पद्धति को प्रयोग में ही नहीं लगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस चिकित्सका पद्धति को प्रयोग में लाने से पहले गायनोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों को प्रशिक्षण दिये जाने की जरूरत है. ऐसे में फाउंडेशन की ओर से दो वर्षीय फेलोशिप कोर्स चालू किया गया है, जहां ऐसे डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जायेगी. अगर राज्य सरकार चाहे तो हम सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को भी यह प्रशिक्षण दे सकते हैं.

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