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नोटबंदी. मिल प्रबंधन ने अंतिम संस्कार के लिए राशि देने से किया इनकार, परिजनों व श्रमिकों का पथावरोध
हावड़ा/कोलकाता: श्रमिक की मौत के बाद मिल प्रबंधन से अंतिम संस्कार के लिए रकम मांगने पहुंचे परिजनों को प्रबंधन ने नोटबंदी का हवाला देकर खाली हाथ लौटा दिया. रुपये नहीं मिलने से आक्रोशित मृतक के परिजनों और अन्य श्रमिकों ने पथावरोध कर दिया. खबर पाकर मालीपांचघड़ा थाना प्रभारी शांतनु कर वहां पहुंचे. थाना प्रभारी के […]
हावड़ा/कोलकाता: श्रमिक की मौत के बाद मिल प्रबंधन से अंतिम संस्कार के लिए रकम मांगने पहुंचे परिजनों को प्रबंधन ने नोटबंदी का हवाला देकर खाली हाथ लौटा दिया. रुपये नहीं मिलने से आक्रोशित मृतक के परिजनों और अन्य श्रमिकों ने पथावरोध कर दिया. खबर पाकर मालीपांचघड़ा थाना प्रभारी शांतनु कर वहां पहुंचे. थाना प्रभारी के हस्तक्षेप के बाद प्रबंधन ने अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार रुपये दिये. लेकिन पीड़ित परिवार को 20 हजार रुपये की जरूरत थी. बाकी 10 हजार रुपये श्रमिकों ने चंदा उठाकर दिया. यह घटना उत्तर हावड़ा स्थित हनुमान जूट मिल की है. अंतिम संस्कार के लिए परिजन शनिवार की दोपहर पटना रवाना हो गये.
क्या है घटना : जानकारी के अनुसार, गुरुवार को श्रमिक मोहम्मद मुन्ना (30) की तबीयत काम के दौरान बिगड़ गयी थी. उसे बालटिकुड़ी इएसआइ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शुक्रवार देर रात उसकी मौत हो गयी. शनिवार सुबह परिजन शव लेकर घर पहुंचे. अंतिम संस्कार के लिए पटना जाना था, लेकिन उनके पास रुपये नहीं थे. इस कारण मृत श्रमिक के परिजनों ने मिल प्रबंधन से 20 हजार रुपये देने की गुहार लगायी. परिजनों ने बताया कि मोहम्मद मुन्ना का 15 हजार रुपये मिल में बकाया था. बकाया मांगने पर प्रबंधन ने नोटबंदी की वजह बता रुपये देने से इनकार कर दिया. दबाव डालने पर 2000 रुपये देने के लिए राजी हुआ.
इस संबंध में मिल के मैनेजर जयंत गांगुली ने बताया कि बड़े नोटों की समस्या सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि पूरे देश में है. पीड़ित परिवार को 10 हजार रुपये दिये गये हैं. प्रबंधन की ओर से हरसंभव मदद की गयी है. उधर, श्रमिक के परिवार का सदस्य अब्दुल काजी ने कहा कि प्रबंधन ने पहले 2000 रुपये देने की बात कही थी. बाद में मीडिया के दवाब में आकर 10000 हजार रुपये दिये. लेकिन पांच हजार के पुराने नोट हैं. पुराने नोट लेकर मैं क्या करूंगा.
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