आरबीआइ की मार्केट इंटेलिजेंस विंग ने पश्चिम बंगाल वित्त विभाग को 194 संदिग्ध वित्तीय संस्थाआें की एक सूचि सौंपी है, जो राज्य के विभिन्न इलाकों में अवैध रूप से लोगों से रुपये जुटा रही हैं. आरबीआइ ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि अगर जल्द ही इन संस्थाआें के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो राज्य में सारधा जैसा एक आैर वित्तीय घोटाला सामने आ सकता है.
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अवैध रूप से रुपये जुटा रहीं 194 संस्थाएं
कोलकाता: सारधा घोटाला सामने आने के बाद नॉन-बैंकिंग संस्थाआें के व्यवसाय पर पाबंदी लग गयी थी, पर हकीकत तो यह है कि अभी भी राज्य में बहुत सारी नॉन-बैंकिंग कंपनियां प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर अवैध रूप से रुपये जुटा रही हैं. यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) की मार्केट इंटेलिजेंस विंग […]
कोलकाता: सारधा घोटाला सामने आने के बाद नॉन-बैंकिंग संस्थाआें के व्यवसाय पर पाबंदी लग गयी थी, पर हकीकत तो यह है कि अभी भी राज्य में बहुत सारी नॉन-बैंकिंग कंपनियां प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर अवैध रूप से रुपये जुटा रही हैं. यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) की मार्केट इंटेलिजेंस विंग की एक रिपोर्ट से सामने आयी है.
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले में से एक सारधा चिटफंड घोटाला 2013 में प्रकाश में आया था, जिसमें लाखों लोगों के 2500 करोड़ रुपये से अधिक की रकम डूब गयी थी. सारधा ग्रुप ने मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्व, आेड़िशा और झारखंड में लोगों के जीवन भर की कमाई के साथ हेरफेर किया था. एक आैर चिटफंड कंपनी रोज वैली ने भी जमाकर्ताआें का लगभग 15000 करोड़ रुपये पर हाथ साफ कर दिया. इनके अलावा एमपीएस ग्रुप, आइ कोर, राहुल ग्रुप, सिलिकोन ग्रुप इत्यादि ने सैकड़ों करोड़ रुपये पर हाथ साफ कर दिया था. इन घोटालों के सामने आने के बाद से 2013-14 से अब तक राज्य में 100 से अधिक एजेंट व जमाकर्ता आत्महत्या कर चुके हैं.
सूत्रों के अनुसार, आरबीआइ ने इन संदिग्ध संस्थाआें की अवैध गतिविधियों से संबंधित कागजात भी राज्य सरकार के हवाले किया है. इन दस्तावेजों में अखबारों में दिये गये विज्ञापन, कंपनी के ब्रोशर व परचे शामिल हैं, जिनमें लोगों से असामान्य रूप से उच्च रिटर्न का वादा किया गया है. साथ ही कुछ राजनीतिज्ञों व मशहूर हस्तियों की तसवीरें भी हैं, जो इन योजनाआें की पुष्टि कर रहे हैं. इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक संदिग्ध संस्थाएं वृक्षारोपण योजनाआें की आड़ में अपना धंधा चला रही हैं. अधिकतर का रजिस्टर्ड ऑफिस तो कोलकाता में है, पर यह संस्थाएं उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हुगली, बर्दवान, वीरभूम, बांकुड़ा व पुरुलिया जिलों के दूरदराज के गांवों में लोगों से रुपये जमा कर रही हैं.
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