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बड़ाबाजार : थोक व फुटकर बाजारों में हाहाकार

कोलकाता: सरकार के 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले से महानगर के बड़ाबाजार, पोस्ता, इजरा स्ट्रीट और हावड़ा के मंगलाहाट के व्यापारी हैरान परेशान हैं कि आखिर उनके कारोबार का अब क्या होगा. सबसे ज्यादा परेशान कपड़ा, इलेक्ट्राॅनिक, मसाला, अनाज, दाल, ड्राइफ्रूट, शकर, गुड़, चाय पत्ती के थोक व्यापारी हैं, क्योंकि […]

कोलकाता: सरकार के 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले से महानगर के बड़ाबाजार, पोस्ता, इजरा स्ट्रीट और हावड़ा के मंगलाहाट के व्यापारी हैरान परेशान हैं कि आखिर उनके कारोबार का अब क्या होगा. सबसे ज्यादा परेशान कपड़ा, इलेक्ट्राॅनिक, मसाला, अनाज, दाल, ड्राइफ्रूट, शकर, गुड़, चाय पत्ती के थोक व्यापारी हैं, क्योंकि यह व्यापारी छोटे व्यापारियों से नगद धन लेकर अपना माल बेचते हैं. सरकार के इस निर्णय से शहर के बाजार की दुकानों में सन्नाटा पसरा पड़ा है. कुछ व्यापारी संगठन अपने मार्केट में बैठक कर इस फैसले के विरोध में आंदोलन की रणनीति भी बना रहे हैं.

कलकत्ता इलेक्ट्रिक डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरविंद तिवारी बाबा का कहना है कि व्यापारी हाहाकार कर रहे हैं. सुबह से कोई खरीदारी नहीं हुई है. लोगों में बेचैनी है कि उन लोगों क्या होगा. जो ह्वाइट में काम करते हैं. वो कुछ ठीक है, लेकिन जो लोग ब्लैक में काम करते थे. उनकी तो पूरी पूंजी ही डूब गयी है. वे लोग क्या करे समझ में नहीं अा रहा है. चूंकि उन लोगों का बाजार थोक और खुदरा बाजार है. व्यापारी दूर से 500 और 1000 रुपये के नोट लेकर आते हैं, लेकिन अब कोई ले नहीं रहा है. इससे कोई कारोबार नहीं हो रहा है. श्री विष्णु दाल मिल्स एसोसिएशन के महासचिव सत्यनारायण गुप्ता का कहना है कि बहुत ही भयावह स्थिति है. कोई खरीदार नहीं है. सरकार ने एक बारगी कठोर निर्णय लगा दिये, लेकिन इससे बाजार में हाहाकार मचा हुआ है. दाल मार्केट क्या मिठाई की दुकान में खरीदार पहुंच रहे हैं, लेकिन कोई 500 रुपये ले ही नहीं रहा है. गुरुवार को बैंक खुल रहे हैं. स्थिति देखनी होगी. अगर यही स्थिति बनी रही, तो सरकार को अपने नियम में बदलाव करने होंगे. सरकार को यह समझना होगा कि यह गरीब बहुल देश है.

लोगों को ध्यान में रख कर ही निर्णय लेना होगा. पोस्ता बाजार के एक व्यापारी का कहना है कि सरकार ने ब्लैक मनी रोकने के लिये जो यह फैसला लिया है वह स्वागत योग्य है लेकिन इस फैसले को बहुत जल्दबाजी में लिया गया है और इसको लागू करने के तरीके से हम संतुष्ट नही है. ज्यादातर मसाले, सुपारी, अनाज, ड्राइफ्रूट, चीनी, चायपत्ती के थोक व्यापारी हैं. पोस्ता में बिहार व आसपास के इलाकों से व्यापारी आते हैं और छोटे व्यापारी यहां से नगद पैसा देकर सामान खरीदते हैं. इसके अतिरिक्त कुछ बैंक ड्राफ्ट आदि से भी भुगतान करते हैं.

उनके लिए तो असुविधा नहीं है, लेकिन जो नगद से खरीदते थे. उनके लिए परेशानी खड़ी हो गयी है. अब इतनी जल्दी थोक या फुटकर व्यापारी कहां से पैसा बैंक में जमा कर माल खरीद पायेंगे. बैंकों में पैसा जमा करने को लेेकर भी बड़ी मारामारी होगी. सारा व्यापार कम से कम 15 से 20 दिनों तक के लिए चौपट हो जायेगा और फिर उसके काफी बाद कहीं पटरी पर आ पायेगा. वह कहते हैं कि इस फैसले का एक पक्ष तो अच्छा है कि ब्लैक मनी बाहर हो जायेगी लेकिन छोटे व्यापारी जो रोज का व्यापार करते र्हैं उनकी कमर कुछ दिनों के लिये तो टूट ही जायेगी.

अन्य व्यापारी का कहना है कि पांच सौ और हजार रुपये के नोट बंद होने का सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होगा क्योंकि वह अपनी फसल गांव से लाकर बड़े व्यापारियों को बेचते हैं और उनसे नगद पैसा लेकर जाते हैं. उनके पास क्रेडिट कार्ड और एटीएम कार्ड नहीं होते. अब जो किसान पैसा लेकर अपने घर गया है वह कैसे इतनी जल्दी बैंक से नोट बदलेगा और फिर अगली फसल की तैयारी कैसे करेगा. सरकार के इस फैसले से बड़े ब्लैक मनी रखनेवाले तो सामने आ जायेंगे लेकिन छोटे किसान और व्यापारी क्या करेंगे. सरकार को इस मसले में छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए.

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