ऐसी इमारतों को तोड़ने के लिए निगम के पास उपयुक्त कानून होने के बावजूद कई जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में महानगर में जर्जर पड़ीं इमारतों के ढहने का क्रम जारी है. पिछले एक महीने में ऐसी दो घटनाएं घट चुकी हैं. पहली घटना महानगर के पाथुरियाघाट स्ट्रीट व दूसरी घटना मंगलवार की रात 24 नंबर वार्ड स्थित काली कृष्ण टैगोर स्ट्रीट में घटी. इस स्थिति में जर्जर हो चुकी इमारतों को तोड़ने के लिए निगम ठोस कदम उठाना चाह रहा है. इस मसले पर चर्चा के लिए बुधवार मेयर शोभन चटर्जी के नेतृत्व में निगम में एक उच्च स्तरीय बैठक संपन्न हुई. बैठक में जर्जर इमारतों को तोड़ने के मुद्दे पर चर्चा हुई. इस दिशा में नये कानून बनाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है.
हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि ऐसे भवनों को तोड़ने को लेकर नया कानून तैयार किया जायेगा या निगम के पुराने कानून में ही संशोधन होगा. बैठक में उपस्थित शहरी विकास व नगर निकाय मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया कि ऐसे भवनों को तोड़े जाने को लेकर निगम के पास कानून तो है, लेकिन कई तरह के पेंच के कारण यह ठीक तरह से नहीं लागू हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि जर्जर इमारतों को लेकर निगम व सरकार गंभीर है. इस विषय पर चर्चा के लिए मेयर शोभन चटर्जी के नेतृत्व में एक कमेटी गठन किया गया है.
सरकार इस विषय को गंभीरता से ले रही है. उन्होंने कहा कि कमेटी निगम के वर्तमान कानून में संशोधन या नये कानून को तैयार करने के विषय पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि आज की इस बैठक में उपस्थित लोगों से उक्त विषय में सुझाव लिया गये हैं. बैठक में उपस्थित स्टेट लॉ कमेटी के चेयरमैन व कलकत्ता हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश प्रणव कुमार चट्टोपाध्याय ने कहा कि नये कानून को बनाने से पहले विभिन्न स्तर पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि कानून को तैयार करने के लिए राज्य के डायरेक्टर जनरल से भी सुझाव लिया जायेगा. किसी नये कानून को तैयार करने पर राज्य के म्यूनिसिप्ल एक्ट में बदलाव किये जायेंगे. इसके लिए राज्य के नगर निकाय मंत्रालय से भी सुझाव लिये जायेंगे. इसके बाद इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जायेगा.