राजनीतिक विशेषज्ञ अनिल कुमार जाना ने कहा कि जिस तरह से वह (ममता) अपनी खास सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं और विकास की बातों को पेश कर रही हैं उससे साफ है कि वह मोदी की ही तरह राष्ट्रीय राजनीति में बंगाल मॉडल को पेश करने की कोशिश कर रहीं हैं. राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने के लिए मोदी ने गुजरात मॉडल का सहारा लिया था. ममता यही बंगाल में कर रहीं हैं. इसका एक उदाहरण त्रिपुरा का अभियान है. कांग्रेस विधायकों के पाला बदलने की वजह से अब तृणमूल त्रिपुरा में मुख्य विपक्षी पार्टी है. वामपंथियों के गढ़ त्रिपुरा में अपनी पहली रैली में ममता ने बंगाल के विकास को जोर शोर से उठाया. लड़ाई विकास और उपेक्षा के बीच है. उन्होंने त्रिपुरा की वाममोरचा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया.
तृणमूल नेतृत्व का कहना है कि त्रिपुरा पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा का एक हिस्सा भर है. तृणमूल सांसद सुलतान अहमद ने कहा कि यह पूरी दुनिया देख रही है कि कैसे तृणमूल ने महज पांच साल में बंगाल को बदल दिया है. इसलिए लोगों ने हम पर विश्वास जताया. अभी हमारा ध्यान त्रिपुरा पर है. लेकिन बड़ी योजना यह है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं और एक मजबूत भाजपा विरोधी मोरचा बनाना चाहते हैं.