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मासिक अधिवेशन में छाया रहा डेंगू

कोलकाता. बंगाल सहित महानगर में भी डेंगू का प्रकोप जारी है. हालांकि महानगर में डेंगू से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है लेकिन मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोलकाता में अब तक डेंगू के 344 मामले सामने आये हैं. डेंगू के बढ़ रहे प्रकोप के मद्देनजर कोलकाता नगर निगम के मासिक […]

कोलकाता. बंगाल सहित महानगर में भी डेंगू का प्रकोप जारी है. हालांकि महानगर में डेंगू से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है लेकिन मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोलकाता में अब तक डेंगू के 344 मामले सामने आये हैं. डेंगू के बढ़ रहे प्रकोप के मद्देनजर कोलकाता नगर निगम के मासिक अधिवेशन में सोमवार को वामों पार्षद रत्ना राय मजूमदार द्वारा दिये गये एक प्रस्ताव में यह कहा गया था कि डेंगू की रोकथाम के लिए निगम के इंजीनियरिंग, ठोस कचरा प्रबंधन व पार्क एंड गार्डेन विभाग के बीच समन्वय का अभाव है जिसके कारण महानगर में डेंगू के मामले देखे जा रहे हैं.
उन्होंने अपने प्रस्ताव में निगम के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों को डेंगू के इलाज के लिए 24 घंटे खुले रखने का प्रस्ताव दिया. उनके इस प्रस्ताव पर निगम में बहस छिड़ गयी. अंत में इस प्रस्ताव के जवाब में मेयर परिषद सदस्य अतिन घोष ने कहा कि डेंगू की रोकथाम लिए निगम की ओर से कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है. इसकी रोकथाम व लार्वा को मारने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. निगम के स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टी अगले तीन महीने के लिए रद्द कर दी गयी है.
डेंगू मच्छरों के स्वभाव में परिवर्तन से बढ़ी परेशानी
अतिन घोष ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग से डेंगू व मलेरिया फैलानेवाले मच्छरों के स्वभाव में परिवर्तन से निगम को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले डेंगू के मच्छर अंधेरे में अंडा देते थे, लेकिन अब इनके स्वभाव में परिवर्तन होने से ये दिन में सूर्य के प्रकाश में तथा खुले में अंडा दे रहे हैं. ठीक इसी तरह से मलेरिया के मच्छर अपने बचाव के लिए अब सूर्य के प्रकाश में अंडे न देकर अंधेरे में दे रहे हैं. इसलिए निगम को काम करने में परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि इस वजह से महानगर के इएम बाइपास के पास डेंगू के मामले अधिक देखे जा रहे हैं क्योंकि यहां पिछले कई वर्षों से मेट्रो रेल का कार्य चल रहा है. मेट्रो के इन स्थलों से हमें काफी लार्वा मिल रहे हैं इसलिए अब ऐसे स्थानों पर विशेष नजर रखी जा रही है. वहीं प्रति सात दिन के अंतराल पर निगम की ओर से अभियान चलाया जा रहा है, क्योंकि अंडा देने के साथ सात दिन बाद ही मच्छर वयस्क होते हैं इसलिए हर सात दिन के अंतर पर अभियान चलाकर इन्हें नष्ट कर दिया जा रहा है.

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