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केंद्र की नीति श्रमिक विरोधी : दिलीप

कोलकाता: ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआइयूटीयूसी) की ओर से केंद्रीय ट्रेड यूनियन और फेडरेशन समूह द्वारा दो सितंबर को बुलायी गयी देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने की अपील की गयी. गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में राज्य सचिव दिलीप भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति श्रमिक विरोधी है. जब कांग्रेस के पास […]

कोलकाता: ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआइयूटीयूसी) की ओर से केंद्रीय ट्रेड यूनियन और फेडरेशन समूह द्वारा दो सितंबर को बुलायी गयी देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने की अपील की गयी.
गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में राज्य सचिव दिलीप भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति श्रमिक विरोधी है. जब कांग्रेस के पास सत्ता थी, तब भी श्रमिकों और मजदूरों के हित की अनदेखी हुई. श्रम कानून में संशोधन के नाम पर श्रमिक विरोधी नीतियों का समर्थन नहीं किया जा सकता है. संगठन की ओर से श्रमिकों का न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये करने, ठेका प्रथा समाप्त कर श्रमिकों का स्थायीकरण करने, श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, बेरोजगार को जल्द रोजगार देने, महंगाई पर अंकुश समेत 12 सूत्री मांगों का समर्थन जताया गया है.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में सीटू नेतृत्व के रवैये के कारण श्रमिकों के हित में व्यापक आंदोलन संभव नहीं हो पा रहा है. श्रमिक समस्या पर 30 मार्च को नयी दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था. इस दौरान ही दो सिंतबर की हड़ताल पर सहमति बनी. सम्मेलन के दौरान हुए फैसले की अनदेखी करते हुए राज्य में सीटू अपने नये प्रस्तावों को भी शामिल कर रहा है. श्रमिकों के हित को लेकर आंदोलन की बजाये राज्य की राजनीतिक दशा को सामने लाये जाने की कोशिश की जा रही है.

कथित तौर पर सीटू की ओर से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि तृणमूल के सत्ता मेें आने के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. भट्टाचार्य ने प्रश्न किया कि क्या पूर्ववर्ती वाममोरचा के शासनकाल में राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं नहीं हुई? संगठन की ओर से मांग की गयी है कि श्रमिकों के हित के लिए बुलाये जाने वाली हड़ताल को राजनीतिक रूप नहीं दिया जाये व इसे सफल करने की पूरी कोशिश की जाये. श्रमिक आंदोलन को सफल बनाने के लिए बीएमएस और आइएनटीटीयूसी के समर्थन पर एआइयूटीयूसी को कोई आपत्ति नहीं है.

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