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गांवों में सक्रिय हैं चिटफंड कंपनियां

कोलकाता: राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पश्चिम बंगाल में अब भी चिटफंड कंपनियां काम कर रही हैं. यह आरोप किसी विपक्षी नेता का नहीं है, बल्कि राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडेय ने इसे स्वीकार किया है. बंगाल नेशनल चेंबर अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (बीएनसीसीआइ) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित […]

कोलकाता: राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पश्चिम बंगाल में अब भी चिटफंड कंपनियां काम कर रही हैं. यह आरोप किसी विपक्षी नेता का नहीं है, बल्कि राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडेय ने इसे स्वीकार किया है.
बंगाल नेशनल चेंबर अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (बीएनसीसीआइ) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में छोटी चिटफंड कंपनियां अब भी काम कर रही हैं. इस संबंध में हमें अब भी कई शिकायतें मिलती रहती हैं. अभी भी कई चिटफंड कंपनियां अस्तित्व में हैं. ‍फिलहाल ये कंपनियां छोटे पैमाने पर काम कर रही हैं, जिसके कारण स्थानीय प्रशासन को उन्हें तलाश करने में कठिनाई हो रही है. लोगों को इनके झांसे में नहीं पड़ना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम सभी से यह अपील करते हैं कि वह ऐसी किसी भी वित्तीय योजना में निवेश न करें, जो सेबी आैर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अनुमोदित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए हम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिल कर राज्य के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलायेंगे.

श्री पांडेय ने इडी समेत विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों से अपील की कि वे सारधा व अन्य चिटफंड कंपनियों की जब्त की गयी संपत्तियों की नीलामी कर ठगे गये निवेशकों के पैसे वापस लौटाने की व्यवस्था करें. उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पीड़ितों के पैसे वापस करने के लिए 500 करोड़ रुपये का एक फंड तैयार किया था, पर केंद्रीय एजेंसियों के हस्तक्षेप के कारण हमें पीछे हटना पड़ा. अब उन्हें चाहिए कि जब्त की गयी इन संपत्तियों की नीलामी की व्यवस्था की जाये, ताकि लोग अपनी डूब चुकी रकम वापस पा सकें. श्री पांडेय ने कहा कि अब तो काफी नियम कानून बन चुके हैं, पर जिस वक्त यह घोटाले सामने आये थे, उस वक्त सेबी ने तत्परता नहीं दिखायी. बार-बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद सेबी की आेर सख्ती नहीं बरती गयी, इस वजह से लाखों लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई गंवा बैठे.

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