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ऋण के मुद्दे पर पर केंद्र व राज्य सरकार में ठनी, जेटली के बयान पर मित्रा का पलटवार

कोलकाता. पश्चिम बंगाल पर ऋण के बोझ को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के बीच ठन गयी है. गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री ने वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान लिये गये ऋण को माफ करने की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज लिया है तो देना पड़ेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री के इस […]

कोलकाता. पश्चिम बंगाल पर ऋण के बोझ को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के बीच ठन गयी है. गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री ने वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान लिये गये ऋण को माफ करने की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज लिया है तो देना पड़ेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए राज्य के वित्त मंत्री डॉ अमित मित्रा ने कहा कि उनके द्वारा दिया गया यह बयान चकित करनेवाला है. उनके बयान से हम आश्चर्यचिकत हैं. राज्य की जनता केंद्रीय वित्त मंत्री के इस बयान से स्तब्ध है. वह इस गंभीर मुद्दे को इतने हल्के में कैसे ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि वाममोरचा कार्यकाल के दौरान तत्कालीन सरकार ने ऋण लिया और उसका भुगतान वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार को करना पड़ रहा है. लोन देने या नहीं देने का फैसला केंद्र सरकार का है. केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना राज्य को कर्ज नहीं मिल सकता इसलिए लोन की वसूली का दायित्व भी केंद्र सरकार का है. वर्ष 2011-2016 तक केंद्र सरकार को राज्य सरकार ने लोन आदायगी के एवज में एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये दिये हैं. साथ ही राज्य सरकार ने 42312 करोड़ रुपये बाजार से लिये गये रुपये के ब्याज के रूप में दिये हैं.

उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की भी अजीब नीति है, ग्रीस जैसे देशों को कर्ज से उबारने के लिए 10 बिलियन डॉलर प्रदान किये हैं और देश के राज्यों को कर्ज से उबारने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा. यह केंद्र सरकार को भी पता है कि पूर्व सरकार के दौरान लिए गये कर्ज को चुकाने में वर्तमान सरकार को काफी दिक्कतें हो रही हैं.

राज्य की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. केंद्र सरकार को इस कर्ज के रिस्ट्रक्चर करने की योजना बनानी चाहिए, नहीं तो कर्ज में डूबे राज्यों का विकास नहीं हो पायेगा. उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) तक राज्य सरकार वाममोरचा सरकार के दौरान लिये गये कर्ज का लगभग एक लाख करोड़ रुपये मूल धन चुकाने में खर्च करेेगी. ब्याज लेकर यह राशि 2,53,910 करोड़ रुपये होगी. अगर राज्य सरकार यह राशि केंद्र को ही दे देगी तो बंगाल का विकास कैसे करेगी. पिछले पांच वर्षों में वर्तमान सरकार ने लगभग 1,13,000 करोड़ रुपये का लोन लिया है और इसमें से 94 हजार करोड़ रुपये वाममोरचा कार्यकाल के दौरान लिये गये ऋण का भुगतान करने पर खर्च हुआ है.

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