कोलकाता : निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंदजी महाराज ने सत्संग भवन में चातुर्मास के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग्रन्थ भागवत, वक्ता भागवत, श्रोता भागवत तीन भागवत अस्तित्व में हैं. ग्रंथ भागवत भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप है. श्रीकृष्ण ने स्वधाम जाते समय उद्धव को आश्वासन दिया कि श्रीकृष्ण की पूजा, भक्ति से जो फल प्राप्त होता है,
वही फल साधक को श्रीमदभागवत गीता का श्रवण करने से प्राप्त होगा. स्वामी विशोकानंदजी ने कहा डोंगर महाराज, शुकदेव महाराज को श्रद्धालु भागवत पुरुष कहते हैं, क्योंकि उन्होंने भ्रमर कीटन्याय से भागवत को आत्मसात कर लिया. उन्होंने कहा कि भागवत के माध्यम से श्रोता को भागवत पुरुष बनाना ही श्रोता भागवत है. वसुदेव-देवकी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त कर लिया लेकिन नारदजी से भागवत का एकादश स्कंध: श्रवण करने के बाद भागवत पुरुष बन पाये.