सुकून का एक कोना रही हैं सुचित्रा सेन
अंतिम दिनों में सुचित्रा सेन के लुक को लेकर रहस्य बना रहेगा
कोलकाता : जानी मानी अभिनेत्री सुचित्रा सेन का आज कोलकाता के एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कल शाम से 82 वर्षीय अभिनेत्री की स्थिति गंभीर होनी शुरु हो गई थी. इसके बाद दिल का जबर्दस्त दौरा पड़ने से आज सुबह 8 बजकर 25 मिनट पर उनका निधन हो गया. अंतिम यात्रा के वक्त भी उनकाचेहरा दुनिया के सामने नहीं आया क्योंकि उनके शव को ले जाने वाला वाहन उजले फूलों से ढंका था और काले रंग का शीशा लगा होने के कारण प्रशंसकों को उनकी एक झलक पाने में कठिनाई हो रही थी.
ममता बनर्जी ने कहा, सुचित्रा के निधन से हुआ एक युग का अंत
सुचित्रा को श्वसन तंत्र में संक्रमण के बाद 23 दिसंबर को बेले व्यू क्लिनिक में भर्ती कराया गया था. इसके बाद फेफड़ों संबंधी बीमारी के लिए निजी गहन उपचार कक्ष में उनका इलाज किया गया. बंगाली सिनेमा की ग्रेटा गर्बो मानी जाने वाली सुचित्रा ने आंधी, सात पाके बंधा, सप्तपदी और दीप जवेले जय जैसी यादगार फिल्मों सहित 60 फिल्मों में काम किया था.
फिल्मी दुनिया ने गुजरे जमाने की अदाकारा सुचित्रा सेन को श्रद्धांजलि दी

सेन प्रथम भारतीय अभिनेत्री थीं जिनको किसी अंतरराष्ट्रीय चलचित्र महोत्सव में पुरस्कार प्रदान किया गया. ‘
सुचित्रा सेन : बंगाली सिनेमा की दिलों की रानी
हिरणी जैसी आंखों वाली सुचित्रा 1970 के दशक के अंत में फिल्म जगत को छोड़कर एकांत जीवन जीने लगीं. उनकी तुलना अक्सर हॉलीवुड की ग्रेटा गार्बो से की जाती थी जिन्होंने लोगों से मिलना जुलना छोड़ दिया था.
कानन देवी के बाद बंगाली सिनेमा की कोई अन्य नायिका सुचित्रा की तरह प्रसिद्धि हासिल नहीं कर पाई. श्वेत-श्याम फिल्मों के युग में सुचित्रा के जबर्दस्त अभिनय ने उन्हें दर्शकों के दिलों की रानी बना दिया था. उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि दुर्गा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं के चेहरे सुचित्रा के चेहरे की तरह बनाए जाते थे.
सबसे पहले बिमल राय की फिल्म देवदास (1955) में उन्होंने पार्वती (पारो) का रोल किया और फिल्म को यादगार बनाया.
बोले बिग बी,सुचित्रा सेन प्रतिभा और दया की साक्षात मूर्ति
सुचित्रा की हिन्दी में दूसरी फिल्म ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी मुसाफिर (1957) है. इसके बाद चम्पाकली (1957) फिल्म में भारत भूषण के साथ सुचित्रा ने काम किया. देव आनंद के साथ सुचित्रा की दो फिल्में हैं- बम्बई का बाबू और सरहद (1960). फिल्म आँधी में संजीव कुमार के साथ उनकी जोड़ी लाजवाब रही और हिन्दी दर्शकों के एक बड़े समूह ने पहली बार सुचित्रा के सौन्दर्य और अभिनय प्रतिभा को नजदीक से देखा, जाना और समझा. आँधी और सरहद के बीच फिल्मकार असित सेन की हिन्दी फिल्म ममता (1966) में सुचित्रा ने माँ और बेटी के दोहरे किरदार को निभाया.
हिन्दी फिल्में – देवदास , मुसाफिर, चम्पाकली, ममता, बम्बई का बाबू , सरहद और आँधी
बांग्लाफिल्में- साड़े चुयात्तर, ओरा थाके ओधारे, अग्निपरीक्षा, शापमोचन,सबार ऊपरे,सागरिका, पथे हल देरि, हारोनो सुर, दीप ज्बेले याइ, सप्तपदी, बिपाशा, चाओया पाओया, सात पाके बांधा
सुचित्रा सेन के सुपरहिट गीतसुनने के लिए क्लिक करें
* तेरे बिना जिंदगी से शिकावा (हिंदी फिल्म-आंधी)
* तुम आ गए हो नूर आ गया है (हिंदी फिल्म-आंधी)
*चल री सजनी अब क्या सोचे (हिंदी फिल्म-बंबई का बाबू)
* देखने में भोला है (
* रहें ना रहें हम (
* छुप गया कोई दूर से पुकार के (हिंदी फिल्म-चंपाकली)
* के तुमी आमारे डाको (
* ए सुधु गानेर दिन (
* इ पाथ जोड़ी शेष ना कोई (
* धूप चिरोदिनी (