इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा 2016 की थीम ‘‘तंबाकू उत्पादों पर प्लेन पैकेजिंग’’ रखी गयी है. पूरी दुनिया मंगलवार को मांग करेगी कि इस प्रकार के समस्त उत्पादों पर निर्धारित कलर हो, उस पर 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी हो तथा उस पर लिखे शब्दों का साइज भी निर्धारित आकार में हो. इसके साथ ही इन उत्पादों पर कंपनी केवल अपने ब्रांड का नाम लिख सके. इसी दिन तंबाकू उत्पादों को अलविदा कहने का संकल्प लिया जायेगा.
वहीं देश की 20 प्रतिशत महिलांए सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन का शौक रखती है. शहरी व ग्रामीण महिलांए भी इसमें शामिल हैं. सर्वे के अनुसार देश की 10 फीसदी लड़कियों ने स्वयं सिगरेट पीने की बात को स्वीकारा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपेार्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक पर अगर नजर डालें, तो पता चलता है कि महिलाअों में तंबाकू के सेवन का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है. इनमें किशोर व किशोरियां भी शामिल हैं.
जब 2010 में यह सर्वे हुआ, तब 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे और आज 2016 में यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़े होने की संभावना है. गैट्स का सर्वे भारत में 2016 में होना प्रस्तावित है. पश्चिम बंगाल में प्रतिदिन लगभग 438 नये तंबाकू उपभोक्ता तैयार होते हैं. यह बेहद गंभीर समस्या है कि प्रतिवर्ष लगभग 85 हजार पश्चिमी बंगाल की आबादी तंबाकू के कारण समय से पहले मौत का शिकार हो जाती है.