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आम जनता की बतकही किसकी बनेगी सरकार…

अमित शर्मा गरमी का पारा जैसे बढ़ता जा रहा है. लोकल ट्रेनों की बोगी की तपिश यात्रियों के लिए जैसे चुनौती से कम नहीं होती है, लेकिन ऑफिस, कॉलेज, स्कूल व काम पर तो जाना ही पड़ेगा. हजारों-हजारों यात्री लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं. इस बार गरमी इसलिए ज्यादा उफान पर है क्योंकि इसमें […]

अमित शर्मा
गरमी का पारा जैसे बढ़ता जा रहा है. लोकल ट्रेनों की बोगी की तपिश यात्रियों के लिए जैसे चुनौती से कम नहीं होती है, लेकिन ऑफिस, कॉलेज, स्कूल व काम पर तो जाना ही पड़ेगा. हजारों-हजारों यात्री लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं. इस बार गरमी इसलिए ज्यादा उफान पर है क्योंकि इसमें सियासी गरमी भी घुली हुई है. यानी गरमी के बीच लोकल ट्रेनों में चुनावी सरगर्मी भी तेज है. लोकल ट्रेनों में सफर करनेवाले यात्रियों के बीच चुनाव की चर्चा प्रमुख विषय बना हुआ है. लोकल ट्रेनों में सफर करनेवाले यात्री बंगाल की बागडोर किसके हाथ में होगी, यह भविष्यवाणी करते नजर आते हैं.
सबके अपने-अपने तर्क हैं, अपना गणित है. हर विधानसभा सीट की स्कैनिंग, टिकट देने-लेने से लेकर उम्मीदवारों की हार-जीत को लेकर ट्रेन यात्रियों का अपना-अपना फार्मूला है. आंकड़े हैं, दावे भी हैं और अपनी बात मनवाने के अलग-अलग तरीके भी हैं. गंतव्य पहुंचने तक एक ही प्रश्न शेष रह जाता है कि आखिरकार बंगाल में किसकी सरकार बनेगी…?
बुधवार की सुबह को सियालदह मेन लाइन अंतर्गत शांतिपुर-सियालदह लोकल में भी कुछ ऐसी ही परिचर्चा सुनने को मिली. ऑफिस टाइम होने की वजह से सियालदह जाने वाली लोकल ट्रेनों में काफी भीड़ होती है. प्रत्येक बाॅगी में डेली पैसेंजरों का अपना-अपना ग्रुप भी होता है. कभी-कभार लोकल ट्रेनों में सफर करनेवाले लोगों के लिए भीड़भाड़ का माहौल परेशान तो करता ही है, साथ में यात्रियों की बहस भी सुननी पड़ती है. शांतिपुर-सियालदह लोकल ट्रेन की एक बोगी के गेट पास खड़े ऐसे ही डेली पैसेंजरों के एक ग्रुप के बीच चुनावी बहस छिड़ी थी. करीब जाने पर पता चला कि वे अपने-अपने तरीके से राज्य में बननेवाली सरकार की दावेदारी कर रहे थे.
सलील कुमार नाम के यात्री का कहना था कि वाममोरचा और कांग्रेस के बीच होने वाला समझौता सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. सलील की बात का विरोध करते हुए पलाश नाम के एक अधेड़ व्यक्ति का कहना था कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति विपरीत नजर आती है.
ज्यादातर ग्रामीण लोगों के पास न तो टीवी की सुविधा है और न इंटरनेट. उन्हें तो बस रोजी-रोटी की चिंता है. इसी बीच उनके ग्रुप में शामिल एक नौजवान ने स्टिंग ऑपरेशन और भ्रष्टाचार का मुद्दा भी सामने रख दिया. सियालदह स्टेशन के करीब जैसे ट्रेन पहुंच रही थी भीड़ भी बढ़ने लगी थी, लेकिन चर्चा माने या बहस जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रही थी.
बहस के दौरान वे एक-दूसरे को रोकते-टोकते व खिल्ली उड़ाते भी नजर आये. आखिरकार ग्रुप के तमाम मेमबरान ने अपने-अपने तरीके से बंगाल में किस पार्टी की जीत होगी, उसकी भविष्यवाणी की. वह भी अपने तरीके से. सियालदह स्टेशन आ गया. सभी ने अपना-अपना बैग लिया और प्लेटफार्म पर उतर कर अपने-अपने रास्ते चल दिये. जाते-जाते एक प्रश्न छोड़ ही दिया, वह यह कि बंगाल में अंतत: किसकी बनेगी सरकार?

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