कोलकाता: हाल ही में फटे रुपये बदलने को लेकर यात्री से हुए विवाद के बाद कंडक्टर द्वारा बस से धकेल कर यात्री को बाहर फेंकने की घटना के बाद कंडक्टर की दादागिरी का शिकार अब विकलांग महिला को होना पड़ा. पीड़िता का नाम डॉक्टर महुआ वारसी (40) है. वह बेनियापुकुर इलाके के जान नगर रोड की रहने वाली है. बचपन में 75 प्रतिशत पैर जलने के कारण वह उसके विकलांग हो गयी थी. कंडक्टर की बदसलूकी का शिकार होने के बाद इससे छुटकारा पाने के लिए जब उसे कोई रास्ता नहीं मिला तो अंत में उसने लाल बाजार में महिलाओं के लिए खोले गये हेल्पलाइन नंबर पर फोन की. बड़ाबाजार थाने की पुलिस की तत्परता से बस को जब्त कर चालक अजीत भुइयां (28) व कंडक्टर कमल ढाली (25) को गिरफ्तार किया गया. दोनों को बुधवार को बैंकशाल कोर्ट में पेश किया जायेगा.
क्या था मामला : पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह एक एनजीओ से जुड़ी है. इसी सिलसिले में वह नेताजी इनडोर स्टेडियम जाने के लिए मंगलवार शाम को चितरंजन मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पिकनिक गार्डेन व हावड़ा रूट की बस में चढ़ी. कंडक्टर ने उससे किराया मांगा तो वह अपना विकलांग कार्ड कंडक्टर को दिखाया व किराया नहीं देने की बात कहीं. इस कंडक्टर भड़क गया व विकलांग कार्ड होने के बावजूद किराया देने की जिद करने लगा. तब तक नेताजी इनडोर स्टेडियम स्टॉप आ जाने के कारण उसने बस से बिना किराया दिये उतरना चाहा. लेकिन कंडक्टर ने उसे उतरने नहीं दिया.
बस बाबूघाट से हावड़ा के लिए चल पड़ी. पीड़िता के अनुसार बाबूघाट के पास जब वह बस से नीचे उतर रही थी, तभी कंडक्टर ने उसके हाथ पकड़ लिए और दोबारा उसे जबरन बस में चढ़ा लिया. हावड़ा ले गया. अंत में महुआ ने अपने पति बीके तिवारी को फोन पर सारी घटना बतायी. इसके साथ ही महिलाओं के लिए कोलकाता पुलिस द्वारा खोले गये हेल्पलाइन 1090 पर फोन कर उसने सारी घटना बतायी. जिसके बाद बस दोबारा हावड़ा से कोलकाता के लिए रवाना हुई तब बड़ाबाजार थाने की पुलिस ने कैनिंग स्ट्रीट व ब्रेबर्न रोड चौराहे पर मिनी बस को रोक कर महिला को बस से रिहा कराया. मामले पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) राजीव मिश्र ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर बड़ाबाजार थाने की पुलिस ने बस के चालक अजीत भुइयां व कंडक्टर कमल ढाली को गिरफ्तार कर लिया गया है.
निजी बस में क्या है प्रावधान : ज्वायंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव साधन दास ने इस घटना को निंदनीय बताया. उन्होंने गिरफ्तार चालक व कंडक्टर को कड़ी सजा देने की मांग की है. विकलांगों के लिए निजी बस में नियम के संबंध में कहा कि विकलांग अगर सरकारी पहचान पत्र कंडक्टर को दिखाते है तो कंडक्टर उससे किराया नहीं मांग सकता है. इसके अलावा सभी निजी बस व मिनी बस में विकलांग के लिए सीट आरक्षित होती है. वैसे आम तौर पर मानविकता के कारण विकलांगों से बस में किराया नहीं लेने का प्रावधान है.