कोलकाता. गंठबंधन की अटकलों को फिर से हवा देते हुए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के मुद्दे पर कांग्रेस व वाममोरचा की ओर से संयुक्त जुलूस निकाला गया. कॉलेज स्क्वायर से दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू हुआ यह जुलूस शाम 4.30 बजे एसप्लानेड पहुंचा. जुलूस में जहां कांग्रेस की ओर से जुलूस के संयोजक ओम […]
कोलकाता. गंठबंधन की अटकलों को फिर से हवा देते हुए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के मुद्दे पर कांग्रेस व वाममोरचा की ओर से संयुक्त जुलूस निकाला गया. कॉलेज स्क्वायर से दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू हुआ यह जुलूस शाम 4.30 बजे एसप्लानेड पहुंचा. जुलूस में जहां कांग्रेस की ओर से जुलूस के संयोजक ओम प्रकाश मिश्रा, सोमेन मित्रा, अब्दुल मन्नान, मनोज पांडे व अन्य शामिल थे वहीं वाममोरचा की ओर से सांसद ऋतव्रत बनर्जी, सूजन चक्रवर्ती, विकास रंजन भट्टाचार्य तथा जदयू की ओर से अमिताभ दत्ता शामिल थे.
डेमोक्रेटिक फोरम अगेंस्ट सप्रेशन के बैनर तले यह जुलूस निकाला गया. माकपा नेता सूजन चक्रवर्ती ने कहा कि पूरी तरह से गैर राजनीतिक यह जुलूस भाजपा और आरएसएस द्वारा जेएनयू को लेकर उठाये गये उनके कदमों के खिलाफ है. भाजपा जेएनयू की स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है. वह देश में लोकतांत्रिक आवाज को दबाने पर तुली हुई है. जिन लोगों ने गांधीजी को गोली मारी, उनसे देशप्रेम वह नहीं सीखना चाहते. वामपंथियों को कई बार देशद्रोही कहा गया है लेकिन वामपंथियों के साथ देश की जनता हमेशा साथ रही.
जेएनयू के हालात पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिल रहा है. दिल्ली में ‘मोदी भाई’ और बंगाल ‘दीदी’ हैं. उन्होंने दावा किया कि जेएनयू में देशविरोधी नारा लगाने वाले एबीवीपी के समर्थक थे. जिन्होंने दूसरों को फंसाने के लिए यह नाटक रचा. इसकी जांच होनी चाहिए. प्रदेश कांग्रेस महासचिव ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि भाजपा और आरएसएस अपनी संकीर्ण मानसिकता को सर्वत्र थोप देना चाहती है और बोलने की आजादी पर वह निशाना साध रहे हैं. जेएनयू इसका हालिया उदाहरण है. सोमेन मित्रा ने कहा कि यह जुलूस असहिष्णुता के खिलाफ था.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और वाममोरचा में गंठबंधन पर चर्चा जोरों पर है. इसकी औपचारिक घोषणा के पहले ही दोनों पार्टियों का एक साथ मिलकर जुलूस निकालना, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक गंठबंधन के लिए लग चुकी मुहर को ही दर्शाता है. हालांकि इस बाबत सवाल पूछे जाने पर सूजन चक्रवर्ती का कहना था कि जुलूस से चाहे जो कोई भी मतलब निकाले लेकिन यह गैरराजनीतिक जुलूस था. इसके पहले भी चिटफंड के खिलाफ संयुक्त जुलूस निकाला जा चुका है. जुलूस में नहीं आये तो भाजपा और तृणमूल के कार्यकर्ता व समर्थक. भाजपा का न आना समझा जा सकता है और तृणमूल तो भाजपा के ही साथ है. लिहाजा कांग्रेस और वामो एक साथ आयें. इसके अलावा जदयू के समर्थक व बुद्धिजीवी तथा आम लोग भी जुलूस में शामिल थे.