वहां से उसे भवानी भवन ले गये. 23 से 29 जून तक उसे सलाखों के पीछे रहना पड़ा. मुख्तार सहित छह लोगों को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने गिरफ्तार किया था. 29 जून को उन्हें लखनऊ ले जाया गया. 30 जून को लखनऊ की अदालत में पेश किया गया. मुख्तार के साथ कोलकाता के जयनगर के जलालुद्दीन उर्फ बाबू भाई, बनगांव का मोहम्मद आलियाकबर सहित कुल छह लोगों को अदालत में पेश किया गया. इनमें बाबू भाई खादिम मामले के साथ भी जुड़ा हुआ था. अदालत में उन पर 124 (ए), 153 (ए), 114 व 109 आइपीसी की धारा लगायी गयी. इसके बाद उन्हें लखनऊ की जेल में ही रख दिया गया. सभी छह आरोपियों के लिए कानूनी लड़ाई स्थानीय वकील मोहम्मद सैयब ने लड़ी थी. आखिरकार सभी आरोपियों को इस वर्ष 14 जनवरी को बेकसूर करार दिया गया.
आठ वर्ष तक जेल में रहने के बाद 22 जनवरी को मुख्तार नंदीग्राम में अपने घर लौटा. मुख्तार ने बताया कि आतंकवादियों के साथ संबंध रखने का संदेह उस पर किया गया था, लेकिन आरोप प्रमाणित नहीं होने पर उसे छोड़ दिया गया. बेवजह उसे आठ वर्षों तक जेल में रहना पड़ा. मुख्तार ने सरकार से सहायता करने की अपील की है. मुख्तार की पत्नी हबीबा बीबी ने कहा है कि पति की गिरफ्तारी के बाद दूसरों के घरों में काम कर उसने परिवार में बूढ़े मां-बाप व तीन छोटे बच्चों को पाला है. पति के लौट आने पर वह बेहद खुश है.