सोमवार को राइटर्स बिल्डिंग में मदरसा शिक्षकों व शिक्षकेतर के कर्मचारियों के संगठन अन-एडेड मदरसा बचाआे कमेटी के प्रतिनिधियों एवं राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के बीच एक बैठक हुई. बैठक की समाप्ति के बाद संगठन के सचिव अब्दुल वहाब मोल्ला ने बताया कि तृणमूल सरकार ने 2012 में 234 मदरसों को मंजूरी दी थी, लेकिन हमलोगों को सरकार से मंजूरी के अलावा कुछ भी नहीं मिला. आज तक सरकार से हमें एक पैसा तक नहीं मिला है. शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन, छात्रों को मिड डे मील व यूनिफार्म की मांग को लेकर हम पहले भी कई बार आंदालन व अनशन कर चुके हैं, लेकिन आज तक सरकार से हमें केवल आश्वासन ही मिला है.
आज भी प्रशासन के बुलावा पर हम लोग इस बैठक में आये, लेकिन मंत्री कुछ प्रभावी उपाय बताने के बजाय केवल अनशन खत्म करने के लिए जोर देते रहे, जाे हमें मंजूर नहीं है. इस बैठक की नाकामी के बाद अब हमलोग आरपार की लड़ाई के लिए तैयार हो गये हैं. अब हमारे 234 मदरसों के 2500 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अपने-अपने प्राण त्याग देंगे. इसके लिए केवल राज्य सरकार एवं मंत्री जिम्मेदार होंगे. श्री मोल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को अल्पसंख्यकों का सबसे बड़ा हमदर्द बताती हैं. अगर वाकई वह हमारी हमदर्द होतीं, तो मदरसा शिक्षकों की यह हालत नहीं होती. शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इस बैठक के बारे में मीडिया को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.
उन्होंने इस बात का भी खंडन किया कि प्रशासन की आेर से अन-एडेड मदरसा बचाआे कमेटी के प्रतिनिधियों को बैठक के लिए बुलाया गया था. श्री हकीम ने कहा कि मुख्यमंत्री नेे जब इन मदरसों को मंजूरी दी थी, उस वक्त उन्होंने आर्थिक अनुदान का कोई आश्वासन नहीं दिया था. सरकार के पास पहले से ही पैसे की कमी है. इस हालत में इनकी मांग को पूरा करना हमारे बस में नहीं है. सरकार अधिक से अधिक इन मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत लाकर वहां मिड डे मील चालू कर सकती है.