कोलकाता: बांग्लादेश को आजादी दिलाने के लिए भारतीय सेना की मुक्ति वाहिनी के साथ हुई साङोदारी की यादें जिंदा रखने के लिए पूर्वी कमान ने गोपनीयता की सूची से बाहर किये गये दस्तावेजों, दुर्लभ तस्वीरों और युद्ध ट्रॉफियों को सहेज कर एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया है.
यह संग्रहालय कोलकाता में फोर्ट विलियम स्थित पूर्वी कमान के मुख्यालय की भीतर है. आम नागरिकों के लिए कभी-कभार ही खुलने वाला यह संग्रहालय आगंतुकों को इस ऐतिहासिक संग्रह के साथ पुरानी यादों में ले जाता है.
1971 के मुक्ति संग्राम की समाप्ति पर 93 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान के दमनकारी शासन से मुक्ति मिली थी. औपचारिक रुप से 16 दिसंबर को खत्म होने वाले इस युद्ध को 42 वर्ष हो चुके हैं. इस दिन को आज विजय दिवस के रुप में मनाने के लिए मुक्ति योद्धा और बांग्लादेशी सैन्य बलों के वरिष्ठ अधिकारी यहां आ रहे हैं. यहां रखा एक दुर्लभ दस्तावेज पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के हस्ताक्षर वाला आत्मसमर्पण पत्र है.
इस पर 16 दिसंबर 1971 को हस्ताक्षर किये गये थे. हार की घोषणा में लिखा है, ‘‘पाकिस्तानी पूर्वी कमान बांग्लादेश में सभी सैन्य बलों का आत्मसमर्पण लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (पूर्वी थियेटर में भारतीय एवं बांग्लादेशी बलों के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-प्रभारी) के समक्ष लिए सहमत है.’’ यहां ढाका में राज्यपाल के आवास पर बमबारी में इस्तेमाल किये गये मिग-21 लड़ाकू विमान के स्वचालित तोप और रॉकेट पॉड का नमूना भी सहेज कर रखा गया है. यह घटना इस युद्ध के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुई थी. इसके अलावा कतारबद्ध होकर अपने हथियार डालते हुए पाकिस्तानी सैनिकों की दुर्लभ तसवीर भी यहां आकर्षण का केंद्र है.