यहां तक कि निर्दलीय चुनाव लड़ने पर भी समस्या नहीं होगी, क्योंकि काफी लोग उन्हें समर्थन करेंगे. शत्रुघ्न सिन्हा ने 2. 64 लाख से अधिक वोटों के अंतर से 2014 का लोकसभा चुनाव जीता था. गौरतलब है कि कभी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे श्री सिन्हा को भाजपा नेतृत्व ने बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव में उन्हें नजरंदाज किया. बिहार में भाजपा ने जिस तरह से चुनाव प्रचार किया, उसे लेकर उन्होंने पार्टी की आलोचना की और यहां तक कि महागंठबंधन की जीत को लोकतंत्र की जीत बताया. उन्होंने कहा कि उन्हें सुनने में आया कि कुछ लोग उन्हें पार्टी से हटाने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया.
श्री सिन्हा ने कहा कि उन्होंने हमेशा राजनीति में एक रुख रखा, जो युवाओं के लिए प्रेरणास्पद रहा है. वह कहते हैं कि राजनीति में वह किसी का गुणगान नहीं करते. जब प्रधानमंत्री और पार्टी ने अच्छा काम किया, तब उन्होंने इसकी तारीफ की और जब उन्हें लगा कि यह अच्छा नहीं है, तब भी उन्होंने अपना विचार रखा. उन्होंने कहा कि वह अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते. उन्होंने कभी कोई पार्टी विरोधी या राष्ट्र विरोधी काम नहीं किया है. वह पार्टी की गरिमा को समझते हैं. उन्हें नहीं लगता कि उन्हें पार्टी से हटाया जायेगा.