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2015 में सुरक्षा एजेंसियों के रडार में आया बंगाल
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 2015 में आइएसआइ के साथ संबंधों को लेकर एक मजदूर, कुछ पासपोर्ट एजेंट, एक कॉलेज छात्र और एक बारटेंडर सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसके साथ ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंटों के लिए यह राज्य एक सुरक्षित ठिकाने के तौर पर सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 2015 में आइएसआइ के साथ संबंधों को लेकर एक मजदूर, कुछ पासपोर्ट एजेंट, एक कॉलेज छात्र और एक बारटेंडर सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इसके साथ ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंटों के लिए यह राज्य एक सुरक्षित ठिकाने के तौर पर सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गया. कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि आइएसआइ द्वारा काम पर रखे गये एजेंटाें से हासिल नकली पासपोर्ट, नकली मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड तथा राशन कार्ड ने इन घुसपैठियों की देश में घुसने और यहां बसने में मदद की. बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की समुचित निगरानी नहीं होने से एजेंटों को पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में घुसने में मदद मिली.
एक वरिष्ठ सीआइडी अधिकारी ने बताया कि बर्दवान के खगरागढ़ विस्फोट की जांच के दौरान कई दस्तावेजों और सुरागों से घटना में शामिल लोगों के बांग्लादेश की सीमा से आने और उन्हें स्थानीय लोगों की मदद मिलने के संकेत मिले थे.
उन्होंने कहा कि हालांकि जांच अब भी जारी है, लेकिन हमें संदेह है कि या तो वे स्थानीय लोग थे या एक दशक के भीतर यहां आकर बसे लोग थे. सीआइडी अधिकारी ने बताया कि नवंबर में शहर के मध्य हिस्से में एक बारटेंडर की गिरफ्तारी से राज्य में काम कर रहे आइएसआइ एजेंटों के एक नेटवर्क का खुलासा हुआ.
कोलकाता पुलिस के एक शीर्ष आइपीएस अधिकारी ने कहा कि हमें सूचना मिली कि आइएसआइ ने इन सभी एजेंटों को विशेष भूमिकाएं दी थीं. उनमें से कुछ यहां एजेंटों की भरती के लिए, कुछ नौसेना, सेना या वायुसेना के शिविरवाले इलाकों से सूचना जुटाने के लिए थे. उनके अलावा ऐसे लोग भी हैं, जो देश में जाली भारतीय नोट लाते हैं और अर्थव्यवस्था को तबाह करने के उद्देश्य से उनका प्रसार करते हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी ) ने हावड़ा और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना जिलों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया है. उन्होंने मुर्शिदाबाद, नदिया, बर्दवान और बीरभूम जैसे जिलों में संगठन के शिविर स्थापित किये और हम पता लगा रहे है कि क्या उन्होंने असम, त्रिपुरा, मेघालय जैसे दूसरे राज्यों में भी अपना विस्तार किया है.
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