कोलकाता: राज्य में कार्य स्थलों पर महिलाओं से उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यह दावा विभिन्न श्रमिक संगठनों ने किया है. एक संवाददाता सम्मेलन में बैंक श्रमिक संगठन की प्रतिनिधि सोनाली विश्वास ने बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पश्चिम बंगाल में कार्यस्थलों में 40 से 50 फीसदी महिलाओं को विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है.
दफ्तरों या संगठित क्षेत्रों में काम करनेवाली महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचार की शिकायत कम ही दर्ज करवाती हैं. उनमें रोजगार छिनने का डर रहता है. असंगठित क्षेत्रों व घरों में काम करने वाली महिलाओं के साथ अपराध के अक्सर मामले सामने ही नहीं आते हैं.
श्रमिक संगठन यूटीयूसी के अशोक घोष ने आरोप लगाया कि हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले तेजी से बढ़े हैं. इस मामले में आज पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर पहुंच गया है. काम करने वाली महिलाओं को जब अपने संस्थान में इस प्रकार की हरकत का सामना करना पड़ता है तो काफी महिलाएं शर्म से पुलिस के पास या अधिकारियों के पास नहीं जाती हैं. पुलिस के पास जाने का अनुभव भी ठीक नहीं है, क्योंकि पुलिस वाले अक्सर महिला को ही गलत बता कर मामला दर्ज करने से इंकार कर देते हैं.
इंटक के रमेन पांडे ने कहा कि कर्म संस्थानों में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार व वेतन के साथ समान मर्यादा मिलनी चाहिए. उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सब का अधिकार है. कर्म संस्थानों में कार्यरत महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ लोगों को जागरूक करने विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठन शुक्रवार को एक सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं, जिसमें श्रमिक संगठनों, सरकारी विभागों एवं मालिक पक्ष के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसके साथ ही महिलाओं को उनके सुरक्षा के तरीकों से अवगत कराने के लिए हम लोगों ने सात दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन करने का निर्णय लिया है.