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प्रदेश भाजपा : बदलते समीकरण, बदलती राजनीति

कोलकाता : आखिरकार राहुल सिन्हा के स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दिलीप घोष को नियुक्त किया गया. अरसे से राहुल सिन्हा के स्थान पर नये अध्यक्ष को नियुक्त करने की अटकलें लगायी जा रही थी. राहुल सिन्हा से भाजपा का एक धड़ा खासा नाखुश था. नगरपालिका चुनाव के बाद […]

कोलकाता : आखिरकार राहुल सिन्हा के स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दिलीप घोष को नियुक्त किया गया. अरसे से राहुल सिन्हा के स्थान पर नये अध्यक्ष को नियुक्त करने की अटकलें लगायी जा रही थी. राहुल सिन्हा से भाजपा का एक धड़ा खासा नाखुश था.

नगरपालिका चुनाव के बाद से ही राहुल विरोधी स्वर पार्टी में तेज होने लगे थे. कभी बाबुल सुप्रियो तो कभी रूपा गांगुली तो कभी दूध कुमार मंडल के साथ राहुल सिन्हा के विरोध की खबरें सामने आयीं. राहुल विरोध तो इतना बढ़ गया कि 27 नवंबर को राहुल विरोधियों ने बकायदा रैली निकाल कर प्रदेश भाजपा मुख्यालय, 6 मुरलीधर सेन लेन, के सामने प्रदर्शन करने की भी घोषणा कर दी. इसके जवाब में प्रदेश भाजपा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि प्रदर्शन करनेवालों का संबंध भाजपा से नहीं.

विज्ञप्ति में यह भी दावा किया गया कि बागियों के संवाददाता सम्मेलन में मौजूद दूध कुमार मंडल प्रदेश नेतृत्व के ही साथ हैं. हालांकि प्रदर्शन को दिलीप घोष के जल्द प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की खबरें आने के बाद रद्द कर दिया गया था. लेकिन यह स्पष्ट हो चला था कि प्रदेश भाजपा में आंतरिक कलह खासी बढ़ गयी है. इधर समूची स्थिति पर नजर रख रहे आरएसएस ने अपने प्रचारक रहे दिलीप घोष को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए दिल्ली भाजपा से बात करनी शुरू कर दी. दिलीप घोष को अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा के बाद ही राहुल के विरोधी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गयी है. सूत्रों के मुताबिक रूपा गांगुली को प्रदेश भाजपा के महिला मोरचा का दायित्व दिया जा सकता है. पूर्व में वीरभूम के जिलाध्यक्ष रहनेवाले धाकड़ नेता दूध कुमार मंडल को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है.
गुटबाजी नहीं, बल्कि दल की सफलता चाहिए : घोष
हालांकि दिलीप घोष यह साफ करते हैं कि वह पार्टी में गुटबाजी नहीं बल्कि दल की सफलता चाहते हैं. यह एकजुट हुए बिना संभव नहीं है. अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा राज्य भर में जोरदार आंदोलन शुरू कर रही है. माना जा रहा है कि जमीनी स्तर पर इन आंदोलनों को आरएसएस का पूरा सहयोग हासिल होगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भाजपा में गये सुभाष सरकार और अमल चटर्जी पहले ही प्रदेश भाजपा में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं. भाजपा के आंदोलनों को राज्य के सुदूर जिलों व गांवों में पहुंचाने के लिए भाजपा के अलावा आरएसएस की संयुक्त शक्ति के काफी मददगार होने की उम्मीद है. दोनों संगठनों के समन्वय की देखरेख आरएसएस के डॉ कृष्णगोपाल के जिम्मे है. अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपनी पैठ बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती.

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