कोलकाता. नौसेना ने मुंबई जैसी आतंकी घटना से बचने के लिए पश्चिम बंगाल आैर बांग्लादेश के बीच चलने वाले मालवाहक जहाजों की निगरानी के लिए एक प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया है. ये जहाज सुंदरवन इलाके से बगैर किसी जांच-पड़ताल के गुजरते हैं.
नेवल ऑफिसर-इन-चार्ज (पश्चिम बंगाल) कमोडोर रवि अहलुवालिया ने बताया कि भारत आैर बांग्लादेश के बीच चलनेवाले इन छोटे मालवाहक जहाजों में ट्रांस्पोंडर नहीं लगा होने के कारण इन पर लगातार नजर बनाये रखना मुश्किल होता है. नौसेना दिवस-2015 के उपलक्ष्य में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कमोडोर अहलुवालिया ने कहा कि प्रणाली उपलब्ध नहीं होने के कारण सुंदरवन से नामखाना व उसके बाद कोलकाता की आेर जाते समय इन जहाजों की जांच नहीं होती है. नौसेना इस मुद्दे को काफी दिनों से उठाती आ रही है. जहाजों में ट्रांस्पोंडर लगाना बेहद खर्चीला है, इसलिए इन जहाजों के मालिक ये उपकरण लगाने से कतराते हैं. ये छोटे मालवाहक जहाज आमतौर पर समुद्र में नहीं जाते हैं, इसलिए भी इनके मालिक ट्रांस्पोंडर लगाने की जरूरत महसूस नहीं करते हैं. कमोडोर अहलुवालिया ने कहा कि जहाजों में ट्रांस्पोंडर लगाना अपरिहार्य है, आने वाले दिनों में इसे लगाना ही पड़ेगा.
यह समुद्री हित की बात है, अगर ऐसा नहीं किया गया, तो मुंबई जैसी घटना कभी भी हो सकती है. सागर द्वीप पर पूर्णकालिक कोस्ट बैटरी लगाने के नौसेना का प्रस्ताव भूमि अधिग्रहण व अन्य समस्याआें के कारण काफी दिनों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. नौसेना कमांडर ने कहा कि कोस्ट बैटरी लगाने से पहले इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा. समस्या यह है कि सागर द्वीप को रेल व सड़क से जोड़ने की योजना पर ही अकेले 4000 करोड़ रुपये खर्च होगा आैर फिलहाल यह खर्च उठानेवाला कोई नहीं है. हालांकि केंद्र सरकार ने फंड मिलने की संभावना जतायी है, इसके बावजूद यह काम चार-पांच वर्ष से पहले पूरा नहीं हो पायेगा. भूमि आधारित कोस्ट बैटरी मुख्य रूप से दुश्मनों के युद्धपोतों व जहाजों के खिलाफ एक ढाल का काम करता है.