कोलकाता. चिटफंड घोटालों में अपना सब कुछ लुटा चुके निवेशकों एवं घोटाले के प्रकाश में आने के बाद दोतरफा मार खा रहे एजेंटों ने अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर अामरण अनशन करने का एलान किया है.
ऑल बंगाल चिटफंड डिपोजिटर्स एंड एंजेंट्स फोरम के अध्यक्ष रुपम चौधरी ने कहा कि अब तक राज्य में 233 निवेशक व एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं. दक्षिण 24 परगना के गोसाबा में एक एजेंट की हत्या हो चुकी है, पर सरकार हमारे प्रति गंभीर नजर नहीं आ रही है. आेड़िशा सरकार ने चिटफंड घोटाले के शिकार लोगों के लिए न केवल तीन हजार करोड़ रुपये मंजूर किया है, बल्कि चिटफंड कंपनियों की तमाम चल-अचल संपत्ति कुर्क कर इस फंड के साथ जोड़ दिया है. आेड़िशा सरकार ने छह महीने के अंदर एक लाख रुपये तक निवेशकों को लौटाने का एलान भी कर दिया है. हम लोग भी आरंभ से यही मांग करते आ रहे हैं, पर तृणमूल सरकार ने हमारी मांग पर कोई कदम ही नहीं उठाया है, जबकि बंगाल से ही चिटफंड घोटाला देश भर में फैला है. इसलिए अब हमलोगों ने अपने आंदोलन को आैर तेज करने का फैसला किया है.
श्री चौधरी ने कहा कि 30 नवंबर को राज्य भर में सभी डीएम, एसपी व एसडीआे दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया जायेगा. 2 से 5 दिसंबर के मध्य किसी भी दिन राजभवन अभियान किया जायेगा व आठ दिसंबर को सॉल्टलेक स्थित सीबीआइ दफ्तर का घेराव करेंगे.
17 दिसंबर को रानी रासमणि रोड पर राज्य भर से हजारों निवेशक व एजेंट इकट्ठा होकर दिन भर धरना देंगे. फिर भी सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो अगले वर्ष जनवरी में धर्मतला में हमलोग अामरण अनशन पर बैठ जायेंगे. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हमारा संसद अभियान की भी योजना है. श्री चौधरी ने आरोप लगाया कि मदन मित्रा की रिहाई से हमें यह लग रहा है कि राज्य आैर केंद्र सरकार के बीच किसी प्रकार की खुफिया सांठगांठ हुई है. श्री मित्रा की गिरफ्तारी के बाद से मुख्यमंत्री ने अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया, जो बेहद रहस्यमयी लगता है.