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दिवाली की रौनक से कटे जूट श्रमिकों के 50 हजार परिवार
बच्चों को खिलाने के लिए नहीं हैं पैसे, पटाखा कहां से खरीदेंगे हावड़ा/कोलकाता : बाबू इस बार हमलोग दिवाली नहीं मना पायेंगे. बच्चों को खिलाने के लिए पैसे ही नहीं है तो पटाखा कहां से खरीदेंगे. पिछले कई महीनों से घर में फूटी कौड़ी नहीं है. बेलून बेचकर किसी तरह घर चला रहा हूं. यह […]
बच्चों को खिलाने के लिए नहीं हैं पैसे, पटाखा कहां से खरीदेंगे
हावड़ा/कोलकाता : बाबू इस बार हमलोग दिवाली नहीं मना पायेंगे. बच्चों को खिलाने के लिए पैसे ही नहीं है तो पटाखा कहां से खरीदेंगे. पिछले कई महीनों से घर में फूटी कौड़ी नहीं है.
बेलून बेचकर किसी तरह घर चला रहा हूं. यह कह कर रामप्रजापति राम रो पड़े. यह कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है. इस बार 50 हजार जूट मिल श्रमिकों के घर में न ही दिवाली मनायी जायेगी और न ही पटाखे ही फोड़े जायेंगे. हावड़ा, उत्तर 24 परगना और हुगली जिले में बंद जूट मिलों के श्रमिकों के घर-घर की यही स्थिति है. हावड़ा िजले में हावड़ा जूट मिल, डेल्टा जूट मिल, तिरुपति जूट मिल और भारत जूट मिल में तालाबंदी चल रही है. यहां काम करनेवाले लगभग 10 हजार श्रमिकों के घर में रोटी के लाले पड़े हैं.
साथ ही सरकार और मिल मालिकों की उदासीनता से 9 जूट मिल बीमार चल रहे हैं. इन मिलों में काम करनेवाले 30 हजार श्रमिकों को समय पर वेतन भी नसीब नहीं है. हावड़ा जूट मिल श्रमिक संघ के सुरेश प्रसाद साव का कहना है कि बार-बार जूट मिल में तालाबंदी से श्रमिक के सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है. भारतीय मजदूर संघ के हावड़ा जिला के सचिव बीरबल राय का कहना है कि हावड़ा जूट मिल के मालिकों में आपसी विवाद का खामियाजा श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है.
श्रमिकों को वेतन के साथ-साथ पीएफ तथा ग्रेचुटी बाकी है. हावड़ा जूट मिल के मजदूर सड़क पर आ गये हैं. उन्हें तो इस बार बोनस भी नहीं दिया गया. उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं, दिवाली क्या मनाएंगे.
राज्य सरकार और केंद्र सरकार की उदासीनता ही जूट श्रमिकों की बदहाली के लिए जिम्मेदार है. ज्ञात हो कि हावड़ा में 56 मिनी जूट मिले हैं, जहां ठेका मजदूरों से काम करवाया जाता है. जिनके लिए न तो पीएफ है और न ही बोनस बावजूद इसके वे काम करने को बाध्य है.
बेरोजगार हैं कलकत्ता जूट मिल के 730 श्रमिक
नारकेलडांगा मेन रोड इलाके के कादापाड़ा स्थित कलकत्ता जूट मिल बंद होने के कारण करीब 730 श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं. रिटायर हो चुके 200 श्रमिकों को ग्रेच्युटी का पैसा भी नहीं मिला है. कलकत्ता जूट मिल 12 अप्रैल 2015 से बंद है. श्रमिक मिल खोलने की मांग पर प्रबंधन के खिलाफ कई बार पथावरोध भी कर चुके हैं.
हाल में बंद हुई है हुकुमचंद जूट मिल
हाल में उत्तर 24 परगना के हाजीनगर की हुकुमचंद जूट मिल के बंद होने से यहां काम करने वाले 10,000 से ज्यादा मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
त्योहारों के इस मौसम में सबके चेहरे पर मुर्दानगी छायी हुई है. दीप पर्व पर उनके सामने अंधियारा ही अंधियारा नजर आ रहा है. इंटक नेता मास्टर निजाम ने मांग की कि इन मिलों को खोलने की दिशा में प्रयास करना जरूरी है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये.
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