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इस बार विषय आधारित पंडालों की धूम

कोलकाता. महानगर में इस बार दुर्गापूजा पंडाल विषय आधारित हैं. कहीं भारत की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर की झलक दिखती है, तो कहीं समकालीन महिला सशक्तीकरण के संदेश. दक्षिणी कोलकाता में बोसपुकुर-तालबागान सरबोजोनिन पंडाल में लंबी दूरी की तैराक आरती साहा जैसी महिलाओं की उपलब्धियों को पेश किया गया है. बोसपुकुर तालबागान के प्रवक्ता शुभेंदु घोष […]

कोलकाता. महानगर में इस बार दुर्गापूजा पंडाल विषय आधारित हैं. कहीं भारत की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर की झलक दिखती है, तो कहीं समकालीन महिला सशक्तीकरण के संदेश. दक्षिणी कोलकाता में बोसपुकुर-तालबागान सरबोजोनिन पंडाल में लंबी दूरी की तैराक आरती साहा जैसी महिलाओं की उपलब्धियों को पेश किया गया है.

बोसपुकुर तालबागान के प्रवक्ता शुभेंदु घोष ने कहा : हम पंडाल में सफेद स्क्रीन पर तैराक आरती साहा जैसी महिलाओं की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए 3डी प्रस्तुति दे रहे हैं. मूर्ति ऐसी बनायी गयी है, जिसमें दुर्गा और उनके चार बच्चे एक फ्रेम में हैं, लेकिन आसपास की दीवार पर महिलाओं द्वारा कशीदाकारी की कांथा कला से तैयार की गयी साड़ी भी होगी, जो स्त्री शक्ति को प्रदर्शित करेगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों की महिलाओं द्वारा तैयार मूर्तियों एवं हस्तकला के 12 तरह के कार्यों के जरिये महिला सशक्तीकरण की विषयवस्तु को पेश किया गया है. यहां से कुछ दूरी पर सिंघी पार्क में एक विशाल मंदिर बना है, जहां मां दुर्गा की काली के अवतार में पूजा की जाती है. सिंघी पार्क दुर्गापूजा समिति के संयुक्त सचिव भास्कर नंदी ने कहा : हमने राजस्थान के शीला देवी मंदिर को यहां बनाया है, जहां दुर्गा की पारंपरिक मूर्ति के साथ ‘शीला’ को भी जगह दी गयी है.

श्री नंदी ने कहा कि मंदिर के बाहरी हिस्से को कल्पना के आधार पर नया रूप दिया गया है. उन्होंने कहा : हमने 16वीं सदी की उस हवेली के रूपवाला ढांचा तैयार किया है, जो महाराजा मान सिंह ने अंबर के किले में बनवाया था. समीपवर्ती सुहरिद संघा में मकानों के बीच पिरामिड और स्फिंक्स नजर आते हैं. बंसत राय रोड पर दिखते इस नजारे के बारे में सुहरिद संघा के सांस्कृतिक सचिव सुशांतो बिश्वास ने कहा : हमने रितुपर्णा सेनगुप्ता को अपना ब्रांड एंबैस्डर बना कर महिला सशक्तीकरण का संदेश देने की कोशिश की है, क्योंकि महिलाओं में दुर्गाशक्ति की भावना का समावेश होता है.

यहां स्थित प्रतिमा में मिस्र और बंगाल दोनों की ही झलक मिलती है.भवानीपुर 75 पल्ली में इसी तरह की शानदार पूजा का आयोजन किया गया है. यहां आयोजकों ने रवींद्रनाथ टैगोर की रचना ‘जूता अविष्कार’ को विषयवस्तु बनाया है. श्री विश्वास ने कहा : कविगुरु की कॉमेडी जूता अविष्कार की विषयवस्तु पर आधारित हमारा पंडाल बंगाल की कलाकृति तिसुमकरी के जरिये बनाया गया है. शहर के कई दूसरे पंडाल भी इसी तरह से अलग-अलग विषयवस्तुओं को समेटे हुए हैं.

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