बैठक में एसडीओ ने मिल खोलने में क्या परेशानी है, इसके बारे मंे प्रेसिडेंट आरके सिंह से पूछा. इस पर उन्होंने मिल को खोलने के लिए मुख्य तौर पर दो प्रस्ताव का जिक्र किया. उन्होंने कहा िक मिल के मजदूरों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है कि बाज़ार में हसियन या सैकिंग की मांग के अनुसार ही मिल चलना चाहते हैं. फ़िलहाल सैकिंग यानी तैयार बोरा की मांग है, इसलिए उसे ही बनाया जायगा. मिल तीनों शिफ्ट चलेगी. अगर इसके बाद भी कुछ मजदूरों को काम नहीं मिलेगा, तो उन्हें काम देने के लिए हैसियन मिल चलेगी. जब हैसियन की मांग आयेगी, तब सैकिंग बनानेवाले मजदूरों को भी हैसियन चट बनाने का काम करने होगा. यह प्रस्ताव बहुत पहले से मजदूरों को दिया गया है, मजदूर अगर तैयार हों, तो मिल चलाने में कोई दिक्कत नहीं है. दूसरा प्रस्ताव प्रशासनिक अधिकारियों के पास वह अरसे से रखते रहे हैं कि मिल में एक्सपोर्ट क्वालिटी का माल इसलिए नहीं तैयार किया जाता है, क्योकि उस माल को ले जाने और ले आने के लिए 40 फीट के कंटेनर को आने-जाने का रास्ता चाहिए. ऐसा रास्ता फ़िलहाल नहीं है.
विक्टोरिया जूट मिल में पहले रेल बोगी से माल का आयत और निर्यात होता था, लेकिन अब रेल बोगी से यह काम नहीं होता है. उस रेलवेवाली जगह पर कंटेनर आने-जाने का मार्ग बनाने की मांग वह करते आ रहे हैं. अगर मार्ग बन जाता है, तो मिले को खोलने में कोई दिक्कत नहीं है. एसडीओ ने कहा कि वह रास्ता बनाने के लिए अपनी और से पहल करेंगे. उन्होंने अपील की कि पहले कारखाने की 16 पंजीकृत यूनियनों के साथ बैठक कर मिल को दुर्गापूजा से पहले खोला जाये. बैठक में मिल के प्रेसिडेंट राजेंद्र कुमार सिंह के अलावा भद्रेश्वर नगरपालिका के चेयरमैन मनोज उपाध्याय, डिप्टी लेबर कमिश्नर तिर्थंकर सेनगुप्ता सहित अन्य कई अधिकारी मौजूद थे.