मालदा. कांग्रेस को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोरचा उम्मीदवार को वोट देकर पंचायत समिति का अध्यक्ष बना दिया. तृणमूल कांग्रेस और वाम मोरचा के बीच इस राजनीतिक डील के बाद पूरे जिले की राजनीति में खलबली मची हुई है. विरोधियों ने तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ माकपा की भी जमकर आलोचना की है. आज मंगलवार को यह घटना चांचल महकमा के रतुआ एक पंचायत समिति में घटी. इस पंचायत समिति में सीटों की कुल संख्या 30 है, जिनमें से माकपा को 13, आरएसपी को 1, कांग्रेस को 13 तथा दो सीटें तृणमूल को मिली है. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के कब्जे में है. पिछले पंचायत चुनाव में तृणमूल के समर्थन से ही वाम मोरचा ने बोर्ड का गठन किया था.
अध्यक्ष माकपा की मुसलेमा खातून बनायी गई थी. कार्यकारी अध्यक्ष आरएसपी के मेहर नागौर बानू बनायी गई थी. वर्तमान में माकपा के पांच सदस्यों में पार्टी के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए कांग्रेस से हाथ मिला लिया और मुसलेमा खातून के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है. दो महीने पहले अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वाम मोरचा की पंचायत समिति अध्यक्ष मुसलेमा खातून की हार हो गई. आज मंगलवार को फिर से अध्यक्ष का चुनाव होना था. आज के चुनाव में 30 में से 29 सदस्य शामिल हुए. एक अन्य सदस्य फिलहाल जेल में है. मंगलवार की सुबह 11 बजे रतुआ एक पंचायत समिति के अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. मतदान के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार मुमताज बेगम की 14 के मुकाबले 15 मतों से हार हुई.
आरएसपी की मेहर नागौर बानू अध्यक्ष चुनी गई हैं. रतुआ एक ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष अजय सिन्हा ने कहा है कि बड़े पैमाने पर रुपयों का लेन-देन हुआ है. तृणमूल तथा माकपा ने आपस में मिलीभगत कर ली. कांग्रेस को रोकने के लिए दोनों कट्टर विरोधी एक हो गये. इधर, तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोअज्जम हुसैन का कहना है कि स्थानीय मुद्दे पर चुनाव हुआ है. कांग्रेस यहां तृणमूल की सबसे बड़ी दुश्मन है. उन्होंने किसी को भी वाम मोरचा के समर्थन के लिए नहीं कहा था. फिर भी यदि उनकी पार्टी के किसी ने वाम मोरचा का समर्थन किया है, तो वह उनसे जवाब मांगेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिले में कांग्रेस को किसी भी प्रकार की कोई रियायत नहीं दी जा सकती. इस बीच, रतुआ एक पंचायत समिति के अध्यक्ष चुनाव में तृणमूल का समर्थन लेना माकपा नेताओं को नागवार गुजरा है. जिला सचिव अंबर मित्र का कहना है कि पार्टी ने अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए सदस्यों को मना किया था. हम लोग संख्याबल में कम हैं. फिर भी वह पूरे मामले को देख रहे हैं.