नयी दिल्ली/ कोलकाता. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ का मानना है कि चिटफंड कंपनी रोजवैली का घोटाला सारधा से चार गुना बड़ा है. घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार रोजवैली ग्रुप के प्रबंध निदेशक शिवमय दत्ता का कंपनी की दो योजनाओं में कथित तौर पर हाथ था जिसके जरिये इस समूह ने एक लाख निवेशकों को 10,000 […]
नयी दिल्ली/ कोलकाता. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ का मानना है कि चिटफंड कंपनी रोजवैली का घोटाला सारधा से चार गुना बड़ा है. घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार रोजवैली ग्रुप के प्रबंध निदेशक शिवमय दत्ता का कंपनी की दो योजनाओं में कथित तौर पर हाथ था जिसके जरिये इस समूह ने एक लाख निवेशकों को 10,000 करोड़ रुपये रुपये का चूना लगाया. यह धनराशि सारधा घोटाले में ठगी गयी रकम से चार गुना ज्यादा है. गौरतलब है िक शनिवार को शिवमय दत्ता और रोजवैली के एक निदेशक अशोक साहा को गिरफ्तारकिया गया.
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि कंपनी के प्रबंध निदेशक दत्ता की दो योजनाओं-आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप को शुरू करने में अहम भूमिका रही. इन दोनों योजनाओं के जरिये निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का वादा कर निवेश के लिए आकर्षित किया गया. सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी देशभर में एक लाख से अधिक निवेशकों से वसूली गयी 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि के हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है. यह धनराशि सारधा घोटाले की धनराशि का चार गुना है. जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा : यह घोटाला इतना बड़ा है कि हम अब भी निवेशकों पर नजरें टिकाए हैं. अबतक करीब एक लाख निवेशकों का पता चला है. लेकिन अब भी हम इस विषय पर गौर कर रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि दत्ता ने कथित रूप से एलआइसी एजेंट के रूप में अपना करियर शुरू किया था, फिर वह अन्य चिटफंड कंपनी से जुड़ा एवं बाद में रोजवैली में आया.
उन्होंने कहा : समझाने का उसका कौशल बड़ा अच्छा था जिसने उसे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद की. निवेश पाने के नये तरीके बनाने की उसकी विशेषता ने उसे चिटफंड कंपनियों के लिए आकर्षक बना दिया. सूत्रों ने बताया कि रोजवैली ग्रुप चिटफंड कारोबार के क्षेत्र में दागी सारधा ग्रुप से काफी आगे एक बहुत बड़ी कंपनी है, उसके आठ संभागीय कार्यालय, 21 क्षेत्रीय कार्यालय, 880 शाखाएं करीब 20 लाख सूचीबद्ध एजेंट और 2.7 लाख सक्रिय एजेंट हैं. सीबीआइ ने दत्ता को 17 सितंबर तक ट्रांजिट रिमांड पर लिया है. दत्ता को भुवनेश्वर ले जाया जायेगा जहां एजेंसी ने मामला दर्ज कर रखा है.
सरकारी संस्थाओं के काम पर सवाल
सूत्रों के अनुसार, रोजवैली के सीएमडी गौतम कुुंडू के इस विशाल साम्राज्य को खड़ा करने के पीछे शिवमय दत्ता का ही दिमाग था. हालांकि उसका कार्यक्षेत्र पश्चिम बंगाल ही था. इसके अलावा इस घोटाले के एक और आरोपी तथा कंपनी के निदेशक अशोक साहा को त्रिपुरा से गिरफ्तार किया गया है.
सीबीआइ ने इन दोनों पर जनता के पैसे के साथ दुरुपयोग तथा अवैध तरीके से पैसे जुटाने का आरोप लगाया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय (इडी) तथा सेबी जैसी सरकारी संस्थाओं के रहने के बावजूद किस तरह से इतनी बड़ी राशि जुटायी गयी. इसके अलावा जांच के बाद निवेशकों को किस प्रकार उनकी रकम वापस की जाये यह सवाल भी काफी अहम है.