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तृणमूल समर्थकों ने किया हमला

दावा. 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने कहा : बंगाल में सफल रही हड़ताल, लगाया आरोप सत्तापक्ष पर लगाया बाधा देने का आरोप कोलकाता : पूरे राज्य में हड़ताल का समर्थन करनेवालों पर हमले के बावजूद हड़ताल व्यापक रूप से सफल रही. एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का बैंकिंग और परिवहन सेवाओं के साथ चाय बागानों, […]

दावा. 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने कहा : बंगाल में सफल रही हड़ताल, लगाया आरोप

सत्तापक्ष पर लगाया बाधा देने का आरोप

कोलकाता : पूरे राज्य में हड़ताल का समर्थन करनेवालों पर हमले के बावजूद हड़ताल व्यापक रूप से सफल रही. एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का बैंकिंग और परिवहन सेवाओं के साथ चाय बागानों, कोयला-इस्पात, जूट मिलों व कारखानों में व्यापक असर पड़ा. यह दावा सीटू समेत 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने किया है.

बुधवार को श्रमिक भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हड़ताल के दौरान पूरे राज्य की स्थिति के बारे में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी. इस मौके पर सीटू के प्रदेश अध्यक्ष श्यामल चक्रवर्ती एवं महासचिव दीपक दासगुप्ता, प्रदेश इंटक के अध्यक्ष रमेन पांडेय, एआइयूटीयूसी के दिलीप भट्टाचार्य, एटक के रंजित गुहा, यूटीयूसी के अशोक घोष, अनादि साहू समेत अन्य श्रमिक नेता मौजूद थे.

श्यामल चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि हड़ताल के दौरान निकलीं रैलियों में शामिल वामपंथी कार्यकर्ताओं पर तृणमूल समर्थकों ने हमले किये. शांतिपूर्ण रैली में शामिल कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.

हड़ताल श्रमिक, किसान व आम लोगों के हित में और केंद्र सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी नीति के खिलाफ बुलायी गयी थी. ऐसे में हड़ताल का विरोध करने व बाधा डालने की तृणमूल कांग्रेस की कोशिश से यह साफ हो गया है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार के साथ तृणमूल कांग्रेस की सांठगांठ है.

बंगाल जैसी अराजक स्थिति किसी भी राज्य में देखने को नहीं मिली. हालांकि श्रमिक, किसान वर्ग और आम लोगों ने हड़ताल को सफल बना कर केंद्र व राज्य की तृणमूल सरकार को करारा जवाब दिया है.

कोलकाता : 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर हड़ताल को सफल बना कर बंगाल की जनता ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के तानाशाही रवैये का जवाब दिया है. राज्य में हड़ताल का समर्थन करनेवाले श्रमिकों व वामपंथी नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले की घटना ने 1972 में राज्य में हुई हिंसा की घटनाओं को ताजा कर दिया. यह बात राज्य में वाममोरचा के चेयरमैन विमान बसु ने कही.

बुधवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि हड़ताल के पक्ष में वामपंथी दलों की ओर से निकाली जाने वाली रैलियों पर हमले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ओर से किये गये. यह हमला हड़ताल के एक दिन पहले से ही शुरू कर दिया गया था. इन घटनाओं से लोगों ने राज्य सरकार और प्रशासन के रवैये को अच्छी तरह से जान लिया है.

बसु ने कहा कि बहरमपुर में वाममोरचा की रैली पर हमला किया गया, जिसमें पूर्व सांसद मोइनुल हसन, विधायक इंसार अली विश्वास समेत कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गये. हड़ताल के दौरान सिलीगुड़ी में निकाली जाने वाली रैली में मेयर अशोक भट्टाचार्य समेत कई वामपंथी नेताओं को पुलिस ने जबरन और दुर्व्यवहारपूर्वक खींच कर गिरफ्तार किया. ऐसी घटना काफी निंदनीय है. हड़ताल के दौरान पुलिस की भूमिका काफी उदासीन रही.

आरोप के मुताबिक वीरभूम के मोहम्मदबाजार, उत्तर दिनाजपुर के रायगंज, जलपाइगुड़ी, हुगली के कोन्ननगर, उत्तर 24 परगना के कई इलाको में हड़ताल के समर्थन में निकली रैलियों पर पुलिस और तृणमूल कार्यकर्ताओं की ओर से हमला किया गया. वृद्ध और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया है.

बेवजह सैकड़ों वामपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. बर्दवान के आउसग्राम में हड़ताल का समर्थन कर रहे बैद्यनाथ मुर्मू नामक एक आदिवासी को गोली मारे जाने की घटना प्रकाश में आयी है. दर्जनों वामपंथी दलों के पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ की गयी. इन हमलों के बावजूद बंगाल के श्रमिक, किसान और आम लोगों ने हड़ताल को सफल बना कर तृणमूल सरकार को करारा जवाब दिया है.

बसु ने कहा कि इन घटनाओं के खिलाफ पूरे राज्य मेें 17 वामपंथी दलों यानी माकपा, भाकपा, फारवर्ड ब्लॉक, आरएसपी, एसयूसीआइ (सी), सीपीआइएमएल (लिब्रेशन), डीएसपी, आरसीपीआइ, एमएफबी, एसपी, बीबीसी, वर्कर्स पार्टी, वॉलसेविक पार्टी, सीपीआइएमएल, पीडीएस, सीआरएलआइ और सीपीबी की ओर से गुरुवार को प्रतिवाद दिवस का पालन किया जायेगा. प्रतिवाद दिवस के तहत जिलों-जिलों में विरोध रैली निकाली जायेगी. रैली के दौरान राज्य में लोकतांत्रिक अधिकारों पर होने वाले हमले का विरोध किया जायेगा.

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