बोलीं ममता. कुंभकरण हैं माकपा के नेता, छह महीने में एक बार खुलती है नींद
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को विभिन्न श्रमिक संगठनों की ओर से आहुत हड़ताल को विफल करार देते हुए कहा कि बंगाल में हड़ताल का कोई व्यापक असर नहीं पड़ा है. यहां पर जनजीवन सामान्य रहा. यहां लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई.
वहीं, बंद के दौरान विरोधी पार्टी के समर्थकों द्वारा किये गये हमलों के संबंध में उन्होंने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वाम मोरचा का अस्तित्व अब खत्म हो चुका है. इनके नेता कुंभकरण के समान हो गये हैं, जो महीनों तक सोते हैं और छह महीने में एक बार उनकी नींद खुलती है और उसके बाद वह हो-हल्ला मचाना शुरू कर देते हैं.
उन्होंने कहा कि वे भी अपने अधिकारों को लेकर आंदाेलन कर चुकी हैं. वर्ष 2009 तक वह भी बंद करती आयी हैं, लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि बंद करके समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है. इससे पूरे देश को आर्थिक नुकसान होता है. इसलिए अब वह इस बंद की संस्कृति को खत्म करना चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि उनको तो यह बात समझ में आ गयी, लेकिन 34 वर्षों तक बंगाल में राज कर इसे कंगाल बनाने वाली वाममोरचा का दिमाग अब तक नहीं खुला है. वह आज भी बंद की राजनीति कर रही है.
बंद के दौरान हिंसा व दंगे को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने पुलिस प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि बंद के दौरान उन लोगों ने काफी संयम से काम किया है. विरोधी पार्टियों ने बंद के दिन अशांति फैलाने के लिए पहले से ही योजना बना ली थी, लेकिन पुलिस के सही कदम की वजह से इस प्रकार की कोई स्थिति पैदा नहीं हुई.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि किसान व श्रमिक वर्ग के खिलाफ अगर कोई फैसला केंद्र लेता है तो राज्य सरकार उसका विरोध करती है. इसलिए अगर वाममोरचा को केंद्र के किसी फैसले से अापत्ति है तो उसे दिल्ली में प्रदर्शन करना चाहिए. केंद्रीय नेताओं से बात करनी चाहिए. इस प्रकार से बंद करके समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है.
वहीं, बंद के दौरान सरकारी कार्यालयों की उपस्थिति के संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि आम दिनों में राज्य सचिवालय सहित महानगर स्थित सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति 91 प्रतिशत के आस-पास रहती है, लेकिन आज बंद के दिन महानगर में स्थित कार्यालयों में 93 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहे, जबकि जिलों में स्थित सरकारी कार्यालयों में 96 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहे.