कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया है. न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने एक मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पुलिस को हलफनामा दायर करने के लिए का है. उल्लेखनीय है कि पश्चिम मेदिनीपुर के चंद्रकोना थानाक्षेत्र के कासंदा गांव में तीन वर्ष पूर्व एक लड़की जब अपने पुरुष सहपाठी के साथ बात कर रही थी, तब गांव की सालिसी सभा ने दोनों को दोषी ठहराया और जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की मांग की. हालांकि लड़की की मां ने रुपये देने से मना कर दिया. आरोप है कि इसपर उसकी मां और दो भाइयों को बुरी तरह पीटा गया. इसके बाद लड़की के घरवालों ने कलकत्ता हाइकोर्ट में मामला दायर किया. इससे पहले की सुनवाई में हाइकोर्ट ने पुलिस को जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा था. गत 18 व 25 जून को इस मामले में मिसबाह-उल-मल्लिक ने अदालत में गवाही दी थी. आरोप है कि मिसबाह की भी पिटाई की गयी. मिसबाह ने जब इसकी शिकायत पुलिस में की, तो उसे ही गिरफ्तार कर लिया गया. बुधवार को अदालत में सरकारी वकील ने गवाह के आरोप पर ही संदेह व्यक्त किया. इसपर अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस ने जब उसका एफआइआर ही नहीं लिया तब कैसे कहा जा सकता है कि वह गलत है या उसका आरोप झूठा है. बगैर जांच के यह कैसे कहा जा सकता है. पुलिस को 27 जुलाई को मामले में हलफनामा देने के लिए कहा गया है.
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राज्य पुलिस की भूमिका पर उठाया सवाल
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया है. न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने एक मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पुलिस को हलफनामा दायर करने के लिए का है. उल्लेखनीय है कि पश्चिम मेदिनीपुर के चंद्रकोना थानाक्षेत्र के कासंदा गांव में तीन वर्ष पूर्व एक लड़की जब अपने पुरुष […]
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