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चार कृषकों की हत्या मामले में 46 की आजीवन कारावास की सजा बरकरार

कोलकाता. चार कृषकों को पीट कर मार डालने के मामले में सभी 46 अभियुक्तों की आजीवन कारावास की सजा को कलकत्ता हाइकोर्ट ने बरकरार रखा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1987 के 19 नवंबर को बोलपुर के मुलुक गांव में ग्रामीण विवाद को लेकर चार कृषकों, शेख बूड़ो (मन्नान), शेख जियाउद्दीन, सुधीर घोष व निर्मल […]

कोलकाता. चार कृषकों को पीट कर मार डालने के मामले में सभी 46 अभियुक्तों की आजीवन कारावास की सजा को कलकत्ता हाइकोर्ट ने बरकरार रखा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1987 के 19 नवंबर को बोलपुर के मुलुक गांव में ग्रामीण विवाद को लेकर चार कृषकों, शेख बूड़ो (मन्नान), शेख जियाउद्दीन, सुधीर घोष व निर्मल घोष पर हमला किया गया था. उन्हें लाठी, बल्लम आदि से पीटा गया था. मौके पर ही निर्मल घोष की मौत हो गयी थी. बाकियों की मौत अस्पताल में हो गयी थी. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी और 46 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. मामले के 22 वर्ष बाद यानी 2009 के 31 मार्च को वीरभूम जिला जज ने इन सभी 46 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अभियुक्त शफीउर रहमान, तपन नंदी, नेपाल दास सहित 46 लोगों ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. 2010 में इन सभी को हाइकोर्ट से जमानत भी मिल गयी थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की न्यायाधीश नादिरा पाथेरिया व न्यायाधीश इंद्रजीत चटर्जी की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी अभियुक्तों की आजीवन कारावास की सजा को बहाल रखा. साथ ही आरोपियों को एक महीने के भीतर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए भी कहा है.

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