कोलकाता. जैन विश्व भारती लाडनूं राजस्थान (मानित विश्वविद्यालय) और अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में कोलकाता स्थित तेरापंथ भवन में जैन धर्म दर्शन और पांडुलिपि व पुरालिपि पर 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसके तहत कोलकाता सहित देश के विविध प्रांतों से आये हुए प्रतिभागियों को जैन दर्शन के साथ संस्कृत भाषा व्याकरण, ब्रह्मी लिपि तथा प्राचीन देवनागरी लिपियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस कार्यशाला में जैन दर्शन का प्रशिक्षण जैन विश्वभारती लाडनूं के प्रो डॉ समणी चैतन्यप्रज्ञाजी द्वारा दिया जा रहा है. कर्म सिद्धांत एवं संस्कृत भाषा तथा व्याकरण का प्रशिक्षण समणी सुलभप्रज्ञाजी दे रहे हैं. प्राचीन लिपियों का प्रशिक्षण अहमदाबाद के श्री महावीर जैन आराधना केंद्र कोबा से पधारे हुए विविध लिपि विशेषज्ञ डॉ उत्तम सिंह दे रहे हैं. आज प्रतिभागियों को ब्रह्मी लिपि की वर्णमाला का अभ्यास कराया गया. इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को ब्रह्मी लिपिबद्ध शिलालेखों और प्राचीन देवनागरी लिपिबद्ध पांडुलिपियों को पढ़ना सिखाया जायेगा. ज्ञातव्य है कि आज हिंदुस्तान में ब्रह्मी, शारदाग्रंथ, प्राचीन देवनागरी आदि लिपियों को जानने वाले विद्वान बहुत कम हैं जबकि इन लिपियों में निबद्ध साहित्य, हमारे ग्रंथागारों में प्रचुर मात्रा में संग्रहित है. इस कार्यशाला के माध्यम से प्राचीन श्रुतसंपदा को जीवित रखने तथा लिपि विशेषज्ञ विद्वान तैयार करने का एक प्रयास किया जा रहा है. जिससे हमारे पूर्वजों द्वारा लिखित प्राचीन ग्रंथ संपदा को प्रकाश में लाया जा सके.
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जैन दर्शन पांडुलिपि एवं पुरालिपिशास्त्र पर कार्यशाला का आयोजन
कोलकाता. जैन विश्व भारती लाडनूं राजस्थान (मानित विश्वविद्यालय) और अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में कोलकाता स्थित तेरापंथ भवन में जैन धर्म दर्शन और पांडुलिपि व पुरालिपि पर 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसके तहत कोलकाता सहित देश के विविध प्रांतों से आये हुए प्रतिभागियों को जैन दर्शन के साथ संस्कृत […]
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