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भुखमरी के कगार पर जूट मिल श्रमिक, एक ने दी जान
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में औद्योगिक विकास का दावा कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ लगातार कारखाने बंद हो रहे हैं. सबसे बुरा हाल जूट मिलों का है. दो महीने में राज्य में कई जूट मिलें बंद हो चुकी हैं. उनमें से एक महानगर के 80 नंबर वार्ड अंतर्गत बीएनआर इलाके में स्थित हुगली […]
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में औद्योगिक विकास का दावा कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ लगातार कारखाने बंद हो रहे हैं. सबसे बुरा हाल जूट मिलों का है. दो महीने में राज्य में कई जूट मिलें बंद हो चुकी हैं. उनमें से एक महानगर के 80 नंबर वार्ड अंतर्गत बीएनआर इलाके में स्थित हुगली जूट मिल भी है. यह मिल सात मई से बंद पड़ी है.
प्रबंधन ने अचानक यहां ‘कार्य स्थगन’ का नोटिस लगा दिया. मिल प्रबंधन के इस फैसले से यहां कार्यरत साढ़े तीन हजार श्रमिक एक झटके में बेरोजगार हो गये. कारखाने को बंद हुए एक महीने से अधिक का समय हो चुका है. श्रमिकों की पूरी जीवन-जीविका कारखाने के चलने पर ही निर्भर करती है. इस वजह से लंबे समय से मिल बंद होने के कारण यहां के श्रमिक भुखमरी के शिकार होने लगे हैं. श्रमिकों की हालत इतनी खराब है कि बदहाल स्थिति से घबरा कर एक श्रमिक ने सोमवार को फांसी लगा कर अपनी जान दे दी. आत्महत्या करनेवाले श्रमिक का नाम जी दुर्गा राव है. भुखमरी से परेशान हो कर 35 वर्षीय दुर्गा राव की पत्नी चार दिन पहले अपनी दो बेटियों के साथ आंध्र प्रदेश स्थित अपने गांव चली गयी थी. दुर्गा राव जूट मिल क्र्वाटर में अपने पिता के साथ रहता था. सोमवार सुबह उसकी लाश फंदे में लटकती हुई पायी गयी.
दुकानदारों ने बंद कर दिया उधार देना
मृतक के पिता जी बैरागी राव ने बताया कि चार दिनों से घर में खाना नहीं बना. दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया था. इससे दुर्गा राव काफी परेशान था.
उधर, मिल के श्रमिकों का कहना है कि अगर जल्द कारखाना नहीं खुला, तो और भी मजदूर यही रास्ता अपना सकते हैं. हमारी आर्थिक हालत पहले से ही ठीक नहीं थी. कारखाना बंद होने के बाद अब जीना और मुश्किल हो गया है.
एक अन्य श्रमिक ने कहा कि चंद ही दिनों में रमजान का महीना शुरू होनेवाला है. उसके बाद ईद, दुर्गा पूजा व दीवाली है. यहां खाने के लाले पड़े हुए हैं. ऐसे में हम त्योहार कैसे मनायेंगे. एक अन्य श्रमिक ने कहा कि इस स्थिति के लिए चटकल यूनियनें भी जिम्मेवार हैं.
इस बंद जूट मिल के श्रमिकों की हालत बेहद दयनीय है. मालिक पक्ष ने अचानक मिल बंद कर साढ़े तीन हजार परिवारों की जिंदगी को अंधेरे में धकेल दिया है. उनके सामने भुखमरी की स्थिति है. मिल खुलवाने के मुद्दे पर मैं हुगली जूट मिल प्रबंधन से पहले भी बात कर चुकाहूं, पर कोई रास्ता अभी तक नहीं निकला है. श्रमिकों की वर्तमान स्थिति और कारखाना चालू करवाने के मुद्दे पर फिर मिल प्रबंधन से बात करूंगा.
अनवर खान, स्थानीय पार्षद
बंद हो रही जूट मिलों पर बिफरी कांग्रेस, मांगा जवाब
राज्य में बंद जूट मिलों का मुद्दा विधानसभा में भी उठा. कांग्रेस विधायक दल के नेता मोहम्मद सोहराब के बंद जूट मिलों पर पेश किये गये एक स्थगन प्रस्ताव को जब विधानसभाध्यक्ष बिमान बनर्जी ने स्वीकार करने से मना कर दिया, तो कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया. प्रश्नकाल के बाद श्री बनर्जी ने कहा कि मोहम्मद सोहराब के स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता, लेकिन उन्हें इसे पढ़ने की अनुमति है. प्रस्ताव को पढ़ते हुए श्री सोहराब ने कहा कि राज्य में 20 से ज्यादा जूट कारखाने बंद हैं. इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गये हैं. राज्य सरकार इन्हें दुबारा शुरू करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है.प्रस्ताव में कहा गया है कि इस विषय पर चर्चा के लिए सदन की रोजाना की कार्यवाही को स्थगित किया जाये. इसके थोड़ी देर बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया. कांग्रेस विधायक मानस भुईंया ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री इतने गंभीर मसले पर चुप हैं. सरकार को इन कारखानों को दोबारा शुरू करने के लिए तत्काल मालिकों के साथ बैठक करनी चाहिए. यूपीए (दो) सरकार ने जूट के बोरो में पैकेजिंग अनिवार्य की थी, लेकिन वर्तमान सरकार ऐसा नहीं कर रही है.
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