कोलकाता : भारत में भले ही भारतीय तकनीक व प्रबंधन संस्थानों को वैश्विक स्तर के शिक्षण संस्थानों में गिना जाता हो, लेकिन वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग ने भारतीय शिक्षण व्यवस्था की पोल खोल दी है. मंगलवार को जारी इस रैंकिंग में टॉप 200 शिक्षण संस्थानों में किसी भी भारतीय संस्थान को जगह नहीं मिली है.
यहां तक कि टॉप 800 में देश के मात्र 11 शिक्षण संस्थान शामिल हैं. सूची में सबसे बेहतर रैंकिंग आइआइटी दिल्ली को दी गयी है, जो 222 वें स्थान पर काबिज है. टॉप 300 में मात्र दो अन्य संस्थानों, आइआइटी मुंबई(233) व आइआइटी कानपुर(295) को स्थान मिला है.
आइआइटी मद्रास को 313 वां जबकि आइआइटी खड़गपुर को 346 रैंकिग दी गयी है. इस रिपोर्ट से यह बात भी सामने आयी है कि भारत के टॉप संस्थानों में शुमार आइआइटी जैसे संस्थानों की रैंकिंग में भी पिछले साल से गिरावट आयी है. आइआइटी दिल्ली को 2012 में 212 वां स्थान मिला था जो इस साल 222 हो गया है.
आइआइटी बंबई पिछले साल के 227 से फिसल कर 233 वें स्थान पर जा पहुंचा है. टॉप 800 में आइआइटी रुड़की (401), दिल्ली विश्वविद्यालय(441), आइआइटी गुवाहाटी व मुंबई विश्वविद्यालय(601) जबकि कलकत्ता विश्वविद्यालय व पुणो विश्वविद्यालय 701 वें स्थान पर काबिज हैं.
वैश्विक रैंकिग में पहला स्थान मैसेचुएट्स यूनिवर्सिटी को मिला है, जिसके बाद क्रमश: हावर्ड व कैंब्रिज विश्वविद्यालय का दूसरा व तीसरा स्थान है.
विश्व के टॉप 800 बेहतर विश्वविद्यालयों की सूची में यूएस के सबसे ज्यादा 144 संस्थान शामिल हैं, जबकि यूके (69), जर्मनी (42), फ्रांस (40) व जापान (38) के संस्थानों ने बेहतर प्रदर्शन कि या है. यह रैंकिंग शोध कार्य, पढ़ाई, रोजगार व अंतरराष्ट्रीय पहुंच पर आधारित है.