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न्याय के लिए लड़ते रहे हो ची मिन्ह : गीतेश
कोलकाता. हो ची मिन्ह को हम याद करते हैं, इसलिए उन्होंने अपने देश को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा किया, जिसकी चाह हर नागरिक को होती है. बेसहारा और पीड़ितों की सहायता में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी को ही दावं पर लगा दिया. ये बातें वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार गीतेश शर्मा ने कहीं. शनिवार को […]
कोलकाता. हो ची मिन्ह को हम याद करते हैं, इसलिए उन्होंने अपने देश को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा किया, जिसकी चाह हर नागरिक को होती है. बेसहारा और पीड़ितों की सहायता में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी को ही दावं पर लगा दिया.
ये बातें वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार गीतेश शर्मा ने कहीं. शनिवार को वह भारतीय भाषा परिषद में वियतनाम के पहले राष्ट्रपति हो ची मिन्ह की 125वीं पर आयोजित कार्यक्रम को वह संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वियतनाम के पहले राष्ट्रपति सही अर्थो में एक राष्ट्र नायक थे. उनका सोच काफी विकसित था. आज हमारे देश में स्वच्छता की बात हो रही है. कहा जा रहा है कि हमे सिंगापुर से सबक लेने की आवश्यकता है. ऐसा सोच रखनेवालों के लिए मैं कहना चाहता हूं कि हो ची मिन्ह ने सबसे पहले स्वच्छता की बात दुनिया के सामने रखी. सफाई के लिए उन्होंने सबसे पहले अपने देश की जनता को जागरूक किया. हो ची मिन्ह तीन बार कोलकाता (1911-46-58)आये.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारत में एसआर वियतनाम के राजदूत टोन-सिन्ह-थान्ह ने कहा कि आज हम हो ची मिन्ह की 125वीं जयंती मना रहे हैं. उन्होंने जीवन भर वियतनाम की दबी-कुचली जनता के अधिकारों और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए संघर्ष किया. लोगों को न्याय और समता दिलाना उनका जीवन का पहला उद्देश्य था. पंडित नेहरू के साथ वियनतनाम के पहले राष्ट्रपति के अच्छे संबंध रहे. इन दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नया आयाम दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद एके मुखोपाध्याय ने कहा कि हो ची मिन्ह जैसा उदार नेता किसी एक देश का नेता नहीं होता, बल्कि वह पूरी मानव जाति का नेता होता है. हो-ची-मिन्ह ने हर तबके की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वियतनाम के राजदूत टोन-सिन्ह-थान्ह ने गीतेश शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ह्यपीपुल्स आइकॉन हो-ची-मिन्ह एंड इंडिया का लोकार्पण किया. अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के सेमिनार सेशन में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज की प्राध्यापिका तीलोत्मा मुखर्जी, ओड़िशा कॉलेज की प्राध्यापिका प्रभामयी सामंत और कुसुम जैन ने परचा पढ़ा. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अमिताभ चक्रवर्ती ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रेम कपूर के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल थे.
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