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निगम में हिंदीभाषी समाज हाशिये पर

कोलकाता. महानगर का हिंदी भाषी समाज एक बार फिर ठगा गया. महानगर में हिंदी बोलने वालों की एक बड़ी आबादी वषार्ें से यहां रह रही है. वृहत्तर बड़ाबाजार, काशीपुर, बेलगछिया समेत कई हिंदीभाषी बहुल इलाके हैं. खिदिरपुर, बेलियाघाटा, टेंगरा, पार्क सर्कस इलाके में भी बड़ी संख्या में हिंदीभाषी लोग रहते हैं. इस बार के कोलकाता […]

कोलकाता. महानगर का हिंदी भाषी समाज एक बार फिर ठगा गया. महानगर में हिंदी बोलने वालों की एक बड़ी आबादी वषार्ें से यहां रह रही है. वृहत्तर बड़ाबाजार, काशीपुर, बेलगछिया समेत कई हिंदीभाषी बहुल इलाके हैं. खिदिरपुर, बेलियाघाटा, टेंगरा, पार्क सर्कस इलाके में भी बड़ी संख्या में हिंदीभाषी लोग रहते हैं. इस बार के कोलकाता नगर निगम के चुनाव में लगभग सभी दलों से काफी हिंदीभाषी पार्षद चुन कर आये हैं. निगम चुनाव में रिकॉर्ड कामयाबी हासिल करनेवाली तृणमूल कांग्रेस के पाले में भी कई हिंदीभाषी पार्षद हैं. पर जब मेयर परिषद के गठन का समय आया तो शासक दल ने हिंदीभाषियों को कुछ देने के बजाय, उन्हें नजरंदाज कर दिया. शुक्रवार को मेयर शोभन चटर्जी, चेयरमैन माला राय एवं डिप्टी मेयर इकबाल अहमद के साथ-साथ 12 मेयर परिषद सदस्यों ने शपथ ग्रहण की. पर इसमें एक भी हिंदीभाषी नहीं हैं. मेयर एवं चेयरमैन के अलावा नौ मेयर परिषद सदस्यों ने बंगला भाषा में शपथ ग्रहण किया, जबकि शमशुज्जमां अंसारी व अमीर उद्दीन ने अंगरेजी में शपथ ली. डिप्टी मेयर बने इकबाल अहमद ने उर्दू में शपथ ग्रहण किया. हिंदी में शपथ ग्रहण करनेवाला कोई नहीं था. हालांकि मेयर ने तारक सिंह व राम प्यारे राम से पूछा भी कि क्या वह हिंदी में शपथ लेना चाहते हैं, पर उन दोनों ने बांग्ला भाषा में शपथ लेना बेहतर समझा. वोट के लिए जहां नेता एक-एक मतदाता के आगे-पीछे घूमते हैं, वहीं चुनाव में जीत हासिल कर किस तरह मतदाताओं को बाबाजी का ठुल्लू थमाया जाता है, उसका जीता-जागता उदाहरण तृणमूल का नया बोर्ड है.

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