– श्रीकांत शर्मा –
कोलकाता : दूध से बननेवाली सेवइयों का त्योहार ईद और भाई को मिठाई खिला कर रखी बांधनेवाला त्योहार रक्षाबंधन का त्योहार अभी–अभी ही बिता है, जबकि दशहरा, दुर्गापूजा, दिपावली के साथ कई त्योहार हमारी दहलीज पर हैं.
ऐसे में दूध के उत्पादों की मांग बढ़ी हुई है. इसी के साथ महानगर और आस–पास के इलाकों में इन दिनों मिलावटखोर सक्रिय हो गये हैं, जो अमृत कहे जाने वाले दूध में धड़ल्ले से मिलावट कर रहे हैं, जिससे वह जहर में तब्दील होता जा रहा है. गाय–भैंसों की निजी डेयरियों के साथ सहकारी डेयरियों में भी मिलावटखोरी का काला खेल से चल रहा है.
दूध में पानी मिलाने की शिकायत आम है, लेकिन पानी के साथ जहरीले केमिकल मिलाये जा रहा हैं. कोलकाता के आस–पास के जिलों में स्थित तबेलों में दूध में मिलावट का सबसे खतरनाक खेल चल रहा है.
यहां दूध व मावा बनाने के लिए रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन खटालों में दिखावे के लिए तो गाय व भैसों को भी रखा गया है, लेकिन यहां तैयार किया जाता है नकली सिंथेटिक दूध. यहां भोर के अंधेरे में मिलावट के काम को अंजाम दिया जाता है. तैयार सिंथेटिक दूध को बलटों में भर कर हावड़ा व कोलकाता के बाजारों में भेज दिया जाता है.
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक दूध व्यवसायी ने बताया कि सिंथेटिक दूध में यूरिया, कास्टिक सोडा, रिफाइंड तेल, डिटज्रेंट पाऊडर तथा सफेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है.