कोलकाता: उच्च न्यायालय के वकीलों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने संपत्ति के मामले दायर करने के एक फैसले में बदलाव किया है. सोमवार को विधानसभा में द सिटी कोर्ट (एमेंडमेंट) बिल, 2013 पारित किया गया है. इस संशोधन विधेयक में प्रस्ताव किया गया था कि 10 लाख रुपये से अधिक व एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मामले की सुनवाई सिटी कोर्ट में होगी, लेकिन इसका विरोध वकीलों ने किया था. सोमवार को विधानसभा में विधेयक पेश किया गया. बहस के बाद विधानसभा के मुख्य सचेतक शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने विधेयक में एक संशोधन पेश किया.
इस संशोधन के अनुसार 10 लाख से अधिक व एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मामले सिटी कोर्ट व हाई कोर्ट दोनों में पेश किये जा सकेंगे. विरोधी दलों की आपत्ति के बाद मत विभाजन के बाद श्री चट्टोपाध्याय के इस संशोधन को स्वीकार कर लिया गया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इससे गरीबों को सुविधा मिलेगी, जो जिस अदालत में चाहेंगे, मामला दायर कर पायेंगे. विधेयक पर हुई बहस में भाग लेते हुए कानून राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी सरकार जनहित में काम कर रही है. सिटी कोर्ट में 1957 में 10 हजार रुपये तक, 1969 में 50 हजार रुपये तक, 1980 में एक लाख रुपये तक, 1990 में 10 लाख रुपये तक के मामले की सुनवाई का प्रावधान था.
अब यह राशि बढ़ा दी गयी है. इससे अब लोग उच्च न्यायालय के साथ-साथ सिटी सिविल कोर्ट दोनों में मामला दायर कर पायेंगे. उन्होंने उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन से अनुरोध किया कि वे अन्य कोर्ट के वकीलों को भी बार लाइब्रेरी क्लब का इस्तेमाल करने दे. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उदाहरण बनाती है. आगे भी वे लोग बनाते रहेंगे.