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पहाड़ में बंद से हर ओर खामोशी

दार्जिलिंग : अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में रविवार को भी पहाड़ बंद रहा. लगातार बंद से पहाड़ का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है. पूरे पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ अलग गोरखालैंड की गूंज सुनायी दे रही है. बाकी सबकुछ खामोश है. सड़कों पर वाहन नहीं हैं. पूरे क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है. स्कूल–कॉलेज, […]

दार्जिलिंग : अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में रविवार को भी पहाड़ बंद रहा. लगातार बंद से पहाड़ का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है. पूरे पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ अलग गोरखालैंड की गूंज सुनायी दे रही है. बाकी सबकुछ खामोश है.

सड़कों पर वाहन नहीं हैं. पूरे क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है. स्कूलकॉलेज, दफ्तर, दुकान, बाजार सबकुछ बंद है. डीएम कार्यालय में सिर्फ जिला अधिकारी महकमा शासक की मौजूदगी रहती है. बाकी कर्मचारी काम पर नहीं आते हैं.

दूसरी ओर, गोरखा जनमुक्ति मोरचा के आंदोलन के मद्देनजर प्रशासन ने दार्जिलिंग हिल्स में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. डीएम कार्यालय से लेकर शहर के विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल तैनात हैं.

दाजिर्लिंग में चौक बाजार से लेकर रेलवे स्टेशन तक एक जूलुस निकाला गया, जहां कम्युनिस्ट पार्टी रिवोल्युशनरी (मार्क्सवादी) के काफी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए. पर्वतीय इलाके के चाय बागानों में इस पार्टी की अच्छी खासी मौजूदगी है, जबकि मोरचा का शहरी इलाकों में जनाधार है.

इस बीच, सीपीआर (एम) के युवा नेता गोबिंद छेत्री ने कहा कि उनकी पार्टी दाजिर्लिंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का स्वागत करेगी. उनकी पार्टी गोरखालैंड संयुक्त कार्रवाई समिति का हिस्सा है, जो अलग राज्य के गठन के लिए आंदोलन चला रही है.

छेत्री ने कहा, राज्य की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी राज्य में कहीं भी जा सकती हैं और हम उनका स्वागत करेंगे. उन्होंने अलग राज्य की मांग को 107 साल पुराना होने का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को पर्वतीय इलाके में गोरखों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.

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