कोलकाता: केंद्र सरकार ने देश के सभी नागरिकों को पेंशन में दायरे में लाने के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू किया है, जिसे देश के 28 राज्यों में से 26 राज्यों ने अपने पेंशन खर्च को कम करने के लिए इस योजना को स्वीकार कर लिया है. लेकिन पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा ही दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने एनपीएस को अपने राज्य में लागू नहीं किया है. बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार व त्रिपुरा में माकपा की सरकार दोनों ही पेंशन के निजीकरण के पक्ष में नहीं है.
यह जानकारी शुक्रवार को पेंशन फंड नियामक व विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन योगेश अग्रवाल ने एमसीसी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित सेमिनार के दौरान कही. उन्होंने कहा कि राज्य में एनपीएस लागू करने के लिए उन्होंने राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र से दो बार संपर्क साधा है, लेकिन दोनों बार अमित मित्र ने यह कह कर बात को टाल किया कि पहले वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे, फिर कोई फैसला लेंगे. लेकिन अब तक राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है. उन्होंने बताया कि बंगाल सरकार की वार्षिक आमदनी करीब 32 हजार करोड़ रुपये है, इसमें से करीब सात हजार करोड़ रुपये सेवानिवृत कर्मचारियों के पेंशन पर खर्च किया जाता है, अगर राज्य में एनपीएस लागू होता है तो इस राशि को राज्य के अन्य विकास कार्यो में प्रयोग किया जा सकता है.
एनपीएस के तहत केंद्रीय व राज्य सरकार के कर्मचारियों के पेंशन की राशि को जमा कराया जाता है, इससे पेंशन के तहत खर्च की जानेवाली राशि में कटौती होती है. एनपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनके बेसिक सैलरी का 10 फीसदी राशि जमा करना होता है और सेवानिवृत के बाद जमा राशि पर अधिकतम 15 फीसदी ब्याज के साथ राशि दी जाती है. फिलहाल 53 ग्राहकों ने एनपीएस के तहत पंजीकरण कराया है. मौके पर एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमित शुक्ला, कोटैक पेंशन फंड लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप श्रीखंडे ने भी विचार रखे. चेंबर के अध्यक्ष दीपक जालान ने स्वागत भाषण रखा.